राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) में एक बार फिर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। एडहॉक कमेटी के 4 सदस्यों ने रविवार को बैठक कर कन्वीनर दीनदयाल कुमावत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सदस्यों ने कुमावत द्वारा हाल ही में लिए गए फैसलों को एकतरफा और मनमाना बताते हुए उन्हें मानने से इनकार कर दिया। बैठक में पूर्व में गठित सीनियर सिलेक्शन कमेटी और लोकपाल (ऑबड्समैन) की नियुक्ति को भी निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया गया। एडहॉक कमेटी के सदस्य धनंजय सिंह खींवसर, मोहित यादव, आशीष तिवाड़ी और पिंकेश जैन ने एकमत होकर कहा- कन्वीनर दीनदयाल कुमावत लगातार एकतरफा फैसले ले रहे हैं, जबकि किसी भी निर्णय से पहले समिति की सर्वसम्मति जरूरी थी। सदस्यों का आरोप है कि कुमावत ने जिस सीनियर सिलेक्शन कमेटी का गठन किया, उसने नियमों के खिलाफ खिलाड़ियों का चयन किया। इसलिए इस सिलेक्शन कमेटी और उसके द्वारा चुनी गई टीम दोनों को भंग करने का फैसला किया गया है। लोकपाल की नियुक्ति पर विवाद
एडहॉक सदस्यों ने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति पर किसी भी सदस्य से चर्चा नहीं की गई। उनके अनुसार, कन्वीनर ने मनमर्जी से ऑबड्समैन नियुक्त कर दिया, जबकि यह निर्णय समिति के सामूहिक अनुमोदन से होना चाहिए था। ऐसे में लोकपाल की नियुक्ति को निरस्त किया जाता है। मिराज स्टेडियम अनुबंध को नहीं मिलेगी मंजूरी
सदस्यों ने दावा किया कि दीन दयाल कुमावत ने एडहॉक कमेटी की सहमति के बिना राजसमंद के मिराज स्टेडियम के साथ तीन माह का अनुबंध (एग्रीमेंट) किया। ताकि वहां RCA की गतिविधियां संचालित की जा सकें। चारों सदस्यों ने इसे RCA के आर्थिक हितों के विपरीत बताते हुए अनुबंध की अवधि पूरी होने के बाद इसे आगे न बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया है। घरेलू प्रतियोगिताएं SMS और जोधपुर स्टेडियम में कराने का फैसला
कमेटी ने सुझाव दिया है कि राजस्थान क्रिकेट संघ की आगामी घरेलू क्रिकेट गतिविधियां जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम, के.एल. सैनी स्टेडियम और जोधपुर के बरकतुल्लाह खां स्टेडियम में कराई जाएं। क्रिकेट ऑपरेशन कमेटी की भूमिका पर रोक
चारों सदस्यों ने कहा कि क्रिकेट ऑपरेशन कमेटी केवल कन्वीनर की राय पर फैसले ले रही है, जो गलत है। ऐसे में भविष्य में यह कमेटी बिना एडहॉक कमेटी के बहुमत की सहमति के किसी भी राज्य स्तरीय क्रिकेट गतिविधि का संचालन नहीं करेगी। लंबे समय से चल रहा था विवाद
सूत्रों के मुताबिक, एडहॉक कमेटी में पिछले कई महीनों से शीत युद्ध चल रहा था। कमेटी के चारों सदस्य कन्वीनर दीनदयाल कुमावत के फैसलों से असहमत थे। जिसके चलते काफी समय से कमेटी की मीटिंग भी नहीं हो पा रही थी। अब बहुमत के आधार पर लिए गए इस निर्णय के बाद कमेटी में नई खींचतान तेज होने की संभावना बढ़ गई है।