8 नोटिस, 15 करोड़ रोके फिर भी एक साल में 50 की जगह 35 प्रतिशत काम ही हुआ

अमृत योजना-2 मंजूर हुई तो शहर को सपने दिखाए गए कि अब शहर में सीवरेज की समस्या दूर हो जाएगी। लोगों ने भी मन बना लिया कि अमृत का काम होगा तो कुछ तकलीफ भी होगी। तकलीफ सहन करने का जनमानस भी बन गया मगर तकलीफ अब नासूर बनने लगी है। फर्म को अमृत-2 के तहत 262 करोड़ का काम 2 साल में पूरा करना था। फर्म एक साल में 35 प्रतिशत ही काम कर पाई। इस बीच शहर के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कई स्थानों पर महीनों से जाम लग रहा है। 6 महीने पुराने खोदे गए गड्‌ढों का पैचवर्क तक नहीं किया गया। अमृत योजना-2 के तहत शहर में पुरानी जर्जर सीवरेज को दुरुस्त करने, नई लाइनें बिछाने, शहर के भीतरी हिस्से की सीवरेज की मरम्मत समेत तमाम काम सौंपे गए। काम मिला नोयडा की फर्म टेक्नोक्राफ्ट कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. को। बाद में इस फर्म का नाम बदलकर टेक्नोक्राफ्ट वेंचर लिमिटेड हो गया। इस फर्म ने जब शुरूआत की तो प्लानिंग बेहतर थी लेकिन जैसे ही कुछ महीने काम चला उसके बाद तो शहर मुसीबत में आ गया। हालात ये हो गए कि अगर मानसून सीजन में निगम काम बंद नहीं कराता तो कई मौतें होतीं क्योंकि इस फर्म ने शहर में जगह-जगह गड्ढे खोद दिए। कई जगह बैरिकेडिंग नहीं की। ये काम 2 साल में पूरा होना था। एक साल हो गया मगर काम 35 प्रतिशत के करीब ही हुआ। फर्म को 8 बार अलग-अलग तारीखों में नोटिस दिए गए। अब तक 80 करोड़ का काम किया। 65 करोड़ का भुगतान भी हुआ। करीब 15 करोड़ का भुगतान काम में देरी होने के कारण रोका भी गया। हैरानी की बात ये कि पूरा निगम प्रशासन और कलेक्टर इस फर्म से खफा हैं मगर इस पर पेनल्टी एक रुपए की नहीं लगाई गई क्योंकि अधिकारियों का एक वर्ग फर्म को बचाने में लगा है। निगम आयुक्त मनीष मयंक से बातचीत Q. आपको नहीं लगता कि अमृत-2 का काम धीरे चल रहा है? A| आप सही कह रहे हैं। मैं जब आया था तब तो बहुत ही धीमी शुरूआत थी। अब तो फिर भी कुछ काम हुआ है पर बहुत देरी से चल रहा है। Q. ऐसा नहीं लगता कि फर्म निरंकुश हो गई? A| नहीं हमने उनका भुगतान रोका है। नोटिस भी दिए हैं। ज्यादा ही दिक्कत होगी तो फर्म पर दूसरे बड़े एक्शन लेंगे। Q. भुगतना रोकना सजा है क्या, पेनल्टी लगाने से क्यों बच रहा निगम? A| भुगतान रोका ही इसलिए है ताकि इसी में से पेनल्टी लगाई जा सके। मैने इसके लिए एक टीम बनाई है जो समीक्षा कर बताएगी कि पेनल्टी कितनी लगानी है। टेक्नोक्राफ्ट वेंचर फर्म ने बीकानेर के छोटे ठेकेदारों को काम सौंपा, भुगतान नहीं, बीच में वर्कर छोड़ रहे काम फर्म में इंजीनियर्स की समझ कमजोर है या नगर निगम की लापहरवाही जो पैचवर्क को चेक नहीं कर रहा। नगर निगम के सामने एक गडढ्ा भरा गया। करीब 20 फिट गहरा गड्ढा 24 घंटे में मिट्‌टी से पाटा गया और सीमेंट कंकरीट का पैचवर्क कर दिया। इस तरह से भरे गए गड्‌ढे कभी भी धंस जाएंगे और गंभीर हादसे हो सकते हैं। एक गड्‌ढे को पाटकर पैचवर्क करने में 7 दिन लगते हैं मगर फर्म एक ही दिन में गड्‌ढा भरकर पैचवर्क कर रहा है। निगम में दो-दो एक्सईएन, दर्जनों एईएन, जेईएन हैं। कोई चेक नहीं कर रहा कि फर्म कैसे लीपापोती कर रही। ये तो हद है-3 महीने से सबसे व्यस्त सड़क बंद अंबेडकर सर्किल से शास्त्री नगर मोड़ तक करीब 250 मीटर सड़क के नीचे फर्म ने सीवरेज लाइन डाली। एक तरफ की पूरी सड़क खोदी। सीवरेज डाल दी गई। बाद में गड्‌ढे मिट्‌टी से पाट दिए गए। एक दिन गलती से ट्रक गुजरा तो पूरी तरह बैठ गया क्योंकि पाटने का वही तरीका अपनाया था जो पैचवर्क का है। फर्म ने 6 महीने पहले खोदे गए गड्‌ढों का अब तक पैचवर्क नहीं किया। सिर्फ एक मात्र ये जगह नहीं है। पवनपुरी में तो 6 महीने पहले गड्‌ढे खोदे थे। उन्हें मिट्‌टी से पाटकर छोड़ दिया। आज वहां कार चालकों को गड्‌ढों से घुमाकर कार निकालनी पड़ती है।