कोटपूतली में 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरी 3 साल की चेतना को 65 घंटे हो गए हैं। चेतना अभी रेस्क्यू टीमों से करीब 20-30 फीट की दूरी पर है। बुधवार रात 3 बजे रुके रेस्क्यू ऑपरेशन को गुरुवार सुबह 6 बजे से फिर शुरू किया गया है। । नीचे की तरफ करीब 150 फीट का गड्ढा खोदने के बाद एक पत्थर आने से काम रुक गया था। बीते करीब 45 घंटे से से चेतना एक देसी जुगाड़ वाले हुक पर अटकी है। खुदाई पूरी होने के बाद रैट माइनर्स की टीम सुरंग खोदेगी। इससे पहले बुधवार सुबह 8 बजे से पाइलिंग मशीन के जरिए एक समानांतर गड्ढा खोदना शुरू किया गया था। दरअसल, सोमवार दोपहर करीब 2 बजे किरतपुर के बड़ियाली की ढाणी की चेतना खेलते हुए 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी। करीब 120 मंगलवार शाम शाम तक उसे देसी जुगाड़ से निकालने की 4 कोशिश फेल हुई थीं। इसके बाद मशीनों को बुलाया गया। दो दिन से चेतना का कैमरे पर कोई मूवमेंट नहीं दिखा है। वह तीन दिन से भूखी-प्यासी है। परिवार और ग्रामीणों में रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी को लेकर नाराजगी भी है। वहीं, जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल बुधवार देर रात पहली बार घटनास्थल पर पहुंची। सबसे पहले जानिए- कहां हुआ हादसा कलेक्टर ने बताया क्यों हो रही देरी सोमवार दोपहर से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को देखने के लिए कोटपूतली-बहरोड़ जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल बुधवार देर रात मौके पर पहुंची। उन्होंने पूरे ऑपरेशन को लेकर अधिकारियों से बात की। कलेक्टर का कहना है कि रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है, इस ऑपरेशन को एक मिनट भी नहीं रोका गया है। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ की टीम पहले भी ऐसे रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड कर चुकी है। अग्रवाल ने कहा कि- पाइलिंग मशीन के लिए काफी तैयारियां करनी पड़ती है। ये मशीन काफी बड़ी होती है। ये एक बड़े ट्रेलर पर लोड होती है। मशीन को यहां तक पहुंचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। हमें सड़कें बनानी पड़ीं। कई बिजली के पोल हटाने पड़े। इस वजह से देरी हुई रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़ी PHOTOS…
