हादसों से सबक नहीं ले रहे अधिकारी:प्रशासन की रिपोर्ट में जिले के सभी बोरवेल बंद भास्कर पड़ताल में एक दर्जन से ज्यादा खुले मिले

प्रदेश में खुले बोरवेल में गिरने से बच्चों की मौत की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इनके प्रति सरकार भी बेहद गंभीर है। प्रदेशभर में खुले बोरवेल बंद करने के सीएम भजनलाल शर्मा ने निर्देश दिए हैं। साथ ही, खुले बोरवेल में हो रहे हादसों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए भी कहा है। लेकिन डीग जिले में कितने बोरवेल खुले पड़े हैं? इस सवाल का जवाब प्रशासन के पास नहीं है। क्योंकि प्रशासन को तो अभी तक यह भी नहीं पता कि जिले में कुल कितने बोरवेल हैं। अब तक किसी भी विभाग ने इसका रिकॉर्ड ही नहीं रखा। डीग कलेक्टर उत्सव कौशल ने अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की तो संबंधित अधिकारियों ने आनन फानन में रिपोर्ट दी कि कई पर भी बोरवेल खुला नहीं है। जबकि वास्तविकता में जलदाय विभाग के अनेकों बोरवेल जिले में खुले पड़े हुए हैं। यहां तक की विभाग में कुछ बोरवेल को खराब एवं नाकारा बंद घोषित कर दिया जिनमें स्थानीय लोगों ने अपनी सबमर्सिबल लगाकर उपयोग में ले रहे हैं। और जलदाय विभाग अधिकारियों को जानकारी ही नहीं है जबकि यह सभी बोरवेल सड़क किनारे ही लगे हुए हैं। अधिकारियों को गुमराह करते हुए गलत रिपोर्ट प्रेषित कर दी गई। अगर कोई हादसा हो जाए तो फिर इसका जिम्मेदार कौन होगा। पीएचईडी का दावा-नाकारा बोरवेल पर ढक्कन, हकीकत- अंगरावली गांव में खुला पड़ा बोरवेल कामां पहाड़ी रोड अंगरावली पुलिया के पास जहां ब्रिज चौरासी परिक्रमा मार्ग का यात्री विश्राम भवन बना हुआ है उसके पीछे पहाड़ की तलहटी में खेतों को जाने वाले रास्ते पर बोरवेल काफी लंबे समय से खुला पड़ा हुआ है। जिससे कोई भी हादसा हो सकता है।पीएचईडी के द्वारा किए जा रहे हैं दावे की पोल खोल दी गई है। हकीकत में विभाग ने कोई सर्वे नहीं किया कार्यालय में बैठकर ही नाकारा बोरवेल पर ढक्कन लगा होने की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को प्रेषित कर दी। पहाड़ी रोड पर सड़क किनारे अंगरावली गांव में तीन बोरवेल ऐसे हैं विभाग में जाने नाकारा बताया था लेकिन ग्रामीण अपनी सबमर्सिबल डालकर उनका उपयोग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने अपने स्तर पर दो बोरवेल में ढक्कन लगा रखे हैं तब की एक पर प्लास्टिक का कट्टा लगाकर उपयोग में ले रहे हैं। वहीं अधिक​ारियों ने रिपोर्ट में सभी बोरवेल को बंद दिखा दिया है। अब गलत रिपोर्ट भेजने वाले अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय अधिकारी क्या कार्यवाही करते हैं यह लोगों के जेहन में सवाल उठ रहा है। यह निर्देश जिनकी नहीं हो रही पालना 1. बोरवेल निर्माण के दौरान कुएं के चारों ओर कंटीले तारों की बाड़ लगाना अनिवार्य है।
2. कुएं के फिक्स स्टील प्लेट कवर लगाना जरूरी है।
3. बोरवेल खोदने के लिए कलेक्टर या सरपंच को 15 दिन पहले लिखित सूचना देना जरूरी है।
4. सरकारी, अर्थ-सरकारी या निजी ड्रिलिंग एजेंसियों का पंजीकरण अनिवार्य है।
5. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ट्यूबवेल को खुला नहीं छोड़ा जाना चाहिए। काम के बाद इसे भरना होगा।