भांकरोटा अग्निकांड में घायल 18 जनों की मौत और आईसीयू में मरीजों के हालात को देखते हुए एक बार फिर एसएमएस अस्पताल में बर्न इंस्टीट्यूट की जरूरत महसूस होने लगी है। ऐसा पिछले दो साल में 4 बार हो चुका है। हर बार बड़े हादसे हुए और 10 से ज्यादा लोग भर्ती हुए। तब भी बर्न इंस्टीट्यूट की बात हुई। दो साल पहले प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने भी अस्पताल प्रशासन को इसकी जरूरत बताई थी, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा, जबकि न्यूरो और कार्डियो के इंस्टीट्यूट बना दिए हैं। बर्न इंस्टीट्यूट इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि एसएमएस में प्रदेश का एकमात्र बर्न सेंटर है और पूरे प्रदेश से केस आते हैं। मरीजों की संख्या व जरूरत को देखते भी यह बेहद जरूरी है। फाइल सरकार के पास अटकी है, देखना यह है कि यह कब तक बन पाता है। बेहतर इलाज के साथ रिसर्च का फायदा बर्न इंस्टीट्यूट बनने से विभाग के डॉक्टर्स अपने स्तर पर सभी तरह के निर्णय ले सकेंगे। इसमें मरीजों के लिए रिसर्च, डवलपमेंट और सुधार का काम हो सकेगा। अभी किसी भी काम के लिए पहले अस्पताल प्रशासन और चिकित्सा विभाग से अनुमति लेनी होती है और काफी समय लगता है। इंस्टीट्यूट बनने से बर्न केयर और प्लास्टिक सर्जरी से संबंधित विशेष कार्यक्रमों को करने के लिए समय नहीं लगेगा। बर्न केयर, स्किन बैंक और रिकंस्ट्रक्ट सर्जरी, जले हुए टिश्यू पर काम और उन्हें कैसे विकसित किया जाए, ये सभी बेहतर तरीके से हो सकेंगे। रिसर्च-रिकंस्ट्रक्ट सर्जरी से इलाज में फायदा प्रस्ताव सरकार के पास है
बर्न इंस्टीट्यूट बनाने के लिए पहले भी प्रपोजल आया था। हमारे यहां से सरकार के पास प्रस्ताव गया हुआ है। बर्न इंस्टीट्यूट तो होना ही चाहिए, इससे मरीजों को भी काफी फायदा मिलेगा।
-डॉ. सुशील भाटी, अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल
