20 दिसंबर को भांकरोटा में ट्रक की टक्कर से गैस टैंकर का एक नहीं बल्कि तीनों नोजल टूट गए थे। यहीं वजह रही कि कोहरे और सर्द मौसम के बावजूद गैस 500 मीटर के दायरे में तेजी से फैल गई। स्लीपर बस, कार, ट्रक और केबिन वाले वाहनों में लोग सीटों पर ही जलकर चिपक गए थे। उन्हें सीट से उठने तक का मौका नहीं मिला। ये डरावने खुलासे हुए हैं एफएसएल की रिपोर्ट में। जयपुर के भांकरोटा में हुए 20 दिसंबर को LPG टैंकर ब्लास्ट को लेकर एफएसएल (स्टेट फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की टीम ने एक डिटेल रिपोर्ट डीसीपी वेस्ट अमित कुमार को सौंपी है। पढ़िए रिपोर्ट में क्या लिखा है… हादसा कैसे हुआ और हादसे के बाद क्या हुआ (रिपोर्ट में जिस ट्रक की टक्कर से नोजल टूटे उसकी भी पुष्टि की गई है। नोजल के आस पास टक्कर के निशान एक्सीडेंट करने वाले ट्रक के केबिन में मिले डेंट से मैच कर रहे हैंं।) हादसे की भयावहता : जगह-जगह बिखरे थे लोगों के शरीर के टुकड़े फॉरेंसिक टीम की क्राइम यूनिट के एडिशनल डायरेक्टर और स्पेशलिस्ट हादसे के ढाई घंटे बाद मौके पर पहुंच गए थे। एफएसएल जयपुर के निदेशक डॉ अजय शर्मा ने बताया कि टीम का पहला काम हादसे की प्रमुख वजहों का पता लगाना था। टीम जब मौके पर पहुंची तो वहां के हालात देखकर उनके भी रोंगटे खड़े हो गए। गैस टैंकर के विस्फोट से आस-पास जाम में फंसे वाहनों के शीशे टूट गए। इंजन फेल हो गया। इससे गैस वाहनों के अंदर तक फैल गई। कुछ लोग जान बचाने के लिए गाड़ियों के शीशे तोड़कर भागे, लेकिन फिर भी बच नहीं पाए। यही कारण है कि कई लोगों की गाड़ियां और उनके शव काफी दूर मिले हैं। फॉरेंसिक टीम ने बताया कि स्लीपर बस, कार, ट्रक और केबिन वाले वाहनों में लोग सीटों पर ही जलकर चिपक गए थे। उन्हें सीट से उठने तक का मौका नहीं मिला। लोगों के कटे फटे शरीर के अंग यहां वहां पड़े थे। बस की खिड़कियों में शरीर के हिस्से फंसे हुए थे। स्लीपर बस का लॉक भी अटक गया था। दरवाजा नहीं खुलने से ज्यादातर लोग बस के अंदर ही जल गए। रफ्तार में था टैंकर को टक्कर मारने वाला ट्रक एफएसएल टीम की रिपोर्ट से सामने आया है कि गैस टैंकर के ड्राइवर ने स्पीडी टर्न लेते हुए डीपीएस कट के पास खतरनाक तरीके से यू-टर्न लिया। ड्राइवर को लगा कि वह समय रहते रिंग रोड की ओर बढ़ जाएगा। वहीं, जयपुर की तरफ से आ रहा ट्रक भी तेज गति से चल रहा था। एफएसएल के अनुसार, दोनों गाड़ियों के बीच हुई टक्कर के बाद वाहनों पर बने गहरे डेंट और मौके की जांच से स्पष्ट हुआ कि टक्कर मारने वाले ट्रक की गति कम से कम 70 किमी प्रति घंटा थी। तेज स्पीड में ट्रक ड्राइवर सामने से अचानक आए गैस टैंकर को देखकर ब्रेक लगाने में नाकाम रहा। दो सैंपल का एक जैसा प्रोफाइल डीएनए जांच रही टीम उस वक्त चौंक गई, जब दो अलग-अलग सैम्पल्स के डीएनए प्रोफाइल एक जैसी आ गई। टीम को शक हुआ कि एक ही व्यक्ति के दो सैंपल आ गए हैं। इसके बाद एसएमएस मोर्चरी में फॉरेंसिक टीम ने जिस शव के अवशेष से सैंपल लिया था उसकी जांच की। इसमें सामने आया कि ब्लास्ट में एक ही व्यक्ति के शरीर के दो टुकड़े हो गए थे। जिसे अलग-अलग मानकर डीएनए जांच के लिए सैंपल भेजे गए थे। सबसे पहला डीएनए मैच जिस शव का हुआ, वह रिटायर्ड आईएएस करनी सिंह राठौड़ का था। उनका डीएनए उनकी बेटी सुमन राठौड़ के डीएनए से 100 फीसदी मैच हो गया था। आमतौर पर एफएसएल टीम डीएनए रिपोर्ट 5 से 6 दिन में देती है, लेकिन टीम ने इस मामले में 3 अज्ञात शवों के डीएनए मिलान कर रिपोर्ट 24 घंटे में सौंप दी। चौथे व्यक्ति का सैंपल 25 दिसंबर को आया। जिसकी रिपोर्ट भी एक ही दिन में दे दी। इनकी हुई डीएनए सैंपल से पहचान करनी सिंह राठौड़ : 21 दिसंबर को उनकी बेटी सुमन राठौड़ के सैंपल से हुई पहचान संजेश यादव: 21 दिसंबर को उनके भाई इंदरजीत के सैंपल से पहचान हुई प्रदीप कुमार: 22 दिसंबर को इनके भाई वीरेंद्र के डीएनए सैंपल से उन्हें पहचाना गया कालूराम : स्लीपर बस के खल्लासी की पहचान 25 दिसंबर को उनके बच्चों गायत्री और दीपक बैरवा के सैंपल से की गई ज्ञान सिंह: इनके सैंपल का मिलान किसी से नहीं हो सका था। 8 दिन बाद भी दर्द से तड़प रहे पति-पत्नी रमेश शर्मा और उनकी पत्नी नीरा एलपीजी गैस ब्लास्ट में 50-60 प्रतिशत तक झुलस गए। हादसे वाले दिन बेटी रिद्धि परीक्षा की वजह से घर पर थी, जिससे उसकी जान बच गई। हादसे की सुबह रमेश और नीरा रोज की तरह अपने काम पर जा रहे थे। नीरा को गैस की तेज बदबू महसूस हुई और उसने पति से लौटने की बात कही। जैसे ही वो मुड़ने लगे, उनकी बाइक बंद हो गई। फिर से बाइक स्टार्ट कर कुछ ही दूर बढे़ थे कि जोरदार धमाका हुआ। दोनों ब्लास्ट की चपेट में आ गए। जिस बाइक पर दोनों सवार थे, वो बेटे देव ने कुछ दिन पहले ही खरीदकर दी थी। गुरुवार को नीरा की हालत अचानक बिगड़ गई। रमेश भी 8 दिन से हर पल दर्द झेल रहे हैं। एफएसएल की टीम ने भविष्य में ऐसे हादसे रोकने के लिए भी दिए सुझाव एलपीजी, सीएनजी या केमिकल से भरे टैंकर पर एम्बुलेंस और पुलिस वाहन की तरह सायरन लगा हो ताकि लोग सतर्क हो सकें। नेचुरल गैस और ज्वलनशील केमिकल ट्रांसपोर्ट करने वाले टैंकर्स के दोनों साइड कैमरा और सेंसर लगे होने चाहिए, जो ओवरटेक करने या बगल में चल रहे वाहन और टैंकर की स्थिति दर्शा सके। नोजल वाॅल्व की स्थिति दिखाने के लिए भी कैमरा हो। ऐसे टैंकर्स को चलाने वाले ड्राइवर्स की समय-समय पर ट्रेनिंग दिलाई जाए, ताकि वह आपात स्थिति में उचित निर्णय ले सकें। ….. जयपुर एलपीजी टैंकर ब्लास्ट की ये खबरें भी पढ़िए… 1. ट्रेन की जगह बस से आई,LPG ब्लास्ट में गई जान:पिता बोले- टीचर बनना चाहती थी बेटी, आग से घिरने के बाद भी सड़क पर दौड़ी जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट हादसे में अब तक 18 लोगों की मौत हो गई है। हादसे में गंभीर रूप से झुलसी युवती सहित 3 और लोगों ने 25 दिसंबर (बुधवार) को सवाई मान सिंह (SMS) हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया। जिन लोगों की बुधवार को जान गई, उनमें 22 साल की विजेता (विनिता) भी है। वह 70 प्रतिशत तक झुलस गई थी। पूरी खबर पढ़िए… 2. जयपुर टैंकर ब्लास्ट- पोटली में मिले ट्रक ड्राइवर के अवशेष:चश्मदीद बोला- मेरे सामने बस आग का गोला बन गई, हादसे की 4 दर्दभरी कहानियां जयपुर के सवाई मान सिंह (SMS) हॉस्पिटल गई तो कई दर्दनाक कहानियां सामने आईं। एक कहानी थी संजेश यादव की, वो ट्रक के ड्राइवर थे, इतनी बुरी तरह जले कि सिर्फ हड्डियां मिलीं। इंद्रजीत उनके भाई थे, भाई के अवशेष पाने के लिए उन्हें डीएनए सैंपल देना पड़ा। पूरी खबर पढ़िए…
