राजस्थान सरकार की विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना प्रदेश के स्टूडेंट्स के लिए परेशानी का कारण बनती जा रही है। स्टूडेंट्स का आरोप है कि आवेदन करने के 6 माह बाद भी सरकार और विभाग ने लिस्ट जारी नहीं की है। ऐसे में, पढ़ाई का सालभर खराब हो चुका है। वहीं विदेश में पढ़ने गए स्टूडेंट्स ने आरोप लगाए कि उनकी विदेश में चल रही पढ़ाई की फंडिंग रोक दी गई है। उन्हें लोन लेकर अपना खर्चा चलाना पड़ रहा है। स्टूडेंट्स का कहना है कि ऐसे डॉक्युमेंट्स मांगे जा रहे हैं जिन्हें उपलब्ध करवाना आसान नहीं है। दरअसल, स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना के तहत 300 स्टूडेंट्स को दुनिया के टॉप यूनिवर्सिटी और 200 स्टूडेंट्स को देश के टॉप 50 यूनिवर्सिटी में फ्री पढ़ाई उपलब्ध कराई जाती। इसके साथ ही स्टूडेंट्स के रहने का खर्च भी सरकार उठाती। लेकिन, इस साल बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स और पेरेंट्स सरकारी लिस्ट का इंतजार कर रहे हैं। वहीं विदेशों में बैठे स्टूडेंट्स फंडिंग रोकने को लेकर सवाल उठा रहे हैं। वहीं मामले को लेकर उपमुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने बताया कि विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना में जो भी समस्या आ रही है। उसका जल्द से जल्द समाधान कर दिया जाएगा। हमने फिलहाल 169 स्टूडेंट का सिलेक्शन कर दिया है। बाकी लिस्ट भी जल्द जारी होगी। इसके साथ ही डेफर का इंतजार कर रहे स्टूडेंट्स की समस्या का भी जल्द ही समाधान होगा। विदेशी यूनिवर्सिटीज से आए ऑफर लेटर एक्सपायर हुए विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना में हो रही देरी की वजह से देश की टॉप यूनिवर्सिटी में एडमिशन की उम्मीद रखने वाले स्टूडेंट्स का साल खराब हो रहा है। यहां जुलाई का सत्र हुए लंबा वक्त हो चुका है। जबकि विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन के बाद नॉमिनेशन लेने का समय भी बीत चुका है। ऐसे में स्टूडेंट्स को विदेशी यूनिवर्सिटीज से मिले ऑफर लेटर भी एक्सपायर हो रहे हैं। वहीं उच्च शिक्षा विभाग ने इस साल अब तक एप्लीकेंट्स की लिस्ट तक जारी नहीं है। वहीं पिछले साल सिलेक्ट हुए स्टूडेंट्स भी डेफर के इंतजार में फंसे हुए हैं। उन स्टूडेंट्स का एक साल तो बर्बाद हो ही चुका है। अब उन्हें इस बात का भी डर है कि उनका एक और साल बर्बाद न हो जाए। जुलाई में फॉर्म भरा था, अब तक लिस्ट नहीं आई जयपुर के अभिभावक अमित कुमार (बदला हुआ नाम) ने बताया कि हमने विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना के लिए जुलाई में हमने फॉर्म भरा था। लेकिन अभी तक लिस्ट नहीं आई है। हमारे बच्चों का एक साल बर्बाद हो चुका है। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट्स कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शिक्षा मंत्री से मुलाकात की। लेकिन, अब तक हमारी समस्या का समाधान नहीं निकल पाया है। हमारे बच्चे का पूरा 1 साल बर्बाद हो गया है। सरकार ने यह स्कीम शुरू नहीं की होती तो हम नहीं सोचते कि हमारे बच्चे विदेश में पढ़ सकते हैं। विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना में सिर्फ इस साल के आवेदकों को ही समस्या नहीं आ रही है। बल्कि, पिछले साल सिलेक्ट हुए स्टूडेंट्स भी डेफर के इंतजार में फंसे हुए हैं। ऐसे में जहां उन स्टूडेंट्स का 1 साल तो बर्बाद हो चुका है। बोलीं- वीजा में लाखों रुपए खर्च हो चुके जयपुर की आरती (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन्होंने विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना में पिछले साल आवेदन किया था। इस साल फरवरी में उनका कोर्स शुरू होना था। लेकिन, विभाग की देरी के कारण वे एडमिशन नहीं ले पाई है। जबकि उन्होंने वीजा बनाने से लेकर दूसरे जरूरी काम में अब तक उनके लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं। ऐसे में अगर सरकार ने जल्द से जल्द भी यह लिस्ट जारी की तो अगले साल फरवरी में भी एडमिशन नहीं होगा। जिससे मेरे दो साल बर्बाद हो जाएंगे। वहीं इंडियन यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले छात्रों से इनकम टैक्स का सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है। स्टूडेंट्स बोले- डॉक्युमेंट्स जुटाना भी चुनौती जिन स्टूडेंट्स ने विदेशों में एडमिशन लिया है। उनमें से भी काफी स्टूडेंट्स की फंडिंग शिक्षा विभाग ने रोक दी है। विदेश में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स ने बताया कि उनसे ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे, जो देना संभव नहीं है। ऐसे में अब हम पढ़ाई करें या हमेशा दस्तावेज जुटाने में लगे रहें। अमेरिका में पढ़ने वाली एक स्टूडेंट राशि (बदला हुआ नाम) ने बताया कि सरकार हमें लिविंग एक्सपेंस भी नहीं दे रही है। इस साल मार्च के बाद से किसी तरह की कोई राशि नहीं मिली है। ऐसे में विदेश में रहकर पढ़ना अब बहुत ज्यादा मुश्किल हो रहा है। छात्रों से मांग रहे असेसमेंट मीनाक्षी ने बताया कि मैंने पिछले साल (2023) में छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया था। लेकिन परिणाम जारी करने से पहले सरकार बदल गई। फिर, वे छात्रवृत्ति का नाम और सब कुछ बदलना चाहते थे। इस बीच मुझे अपने आवेदनों पर आपत्ति मिलती रही। खासकर, आईटीआर और आय प्रमाण पत्र। मुझे ऐसे दस्तावेज जमा करने पड़े जिनका उल्लेख सूची में नहीं था। आवेदन जमा करने के बाद ही मुझे किसी गलत दस्तावेज के लिए आपत्ति मिलेगी। मीनाक्षी ने बताया- हमसे अटेंडेंस मांगी जा रही है। पोर्टल पर यूनिवर्सिटी को हमारी अटेंडेंस राजस्थान सरकार और संबंधित विभाग को भेजने से संबंधित डॉक्युमेंट्स जमा करवाने को कहा जाता है। वहीं हमसे पढ़ाई का असेसमेंट मांगा जा रहा है, जैसे कि मार्क्स कितने आ रहे हैं और हम पढाई में कैसे हैं। पोर्टल पर बहुत सारी तकनीकी समस्याएं थीं। वैसे भी पहले साल के लिए हमें अपनी जेब से भुगतान करना पड़ा। इस साल के लिए, मैंने पाठ्यक्रम बदलने का फैसला किया। इसलिए मैंने अपना पिछला आवेदन वापस लेकर फिर से आवेदन किया। लेकिन सरकार के पोर्टल में बहुत सारी समस्याएं हैं। वैसे अब मैंने और मेरे जैसे काफी स्टूडेंट्स ने लोन लिया है। बीजेपी ने बदला नाम, कम की स्टूडेंट्स की संख्या राजस्थान के स्टूडेंस को विदेश में फ्री पढ़ाने की योजना पूर्व कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुरू की थी। तब राजीव गांधी के नाम पर शुरू की गई इस योजना के तहत 500 स्टूडेंट्स को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कॉलेज और यूनिवर्सिटी में फ्री शिक्षा दिलाने के दावे किए गए थे। लेकिन राजस्थान में बीजेपी की सरकार के गठन के बाद न सिर्फ इस योजना का नाम बदल गया बल्कि, इसके नियमों में भी बड़ा बदलाव किया गया। जहां पहले 500 स्टूडेंट्स को विदेश में पढ़ाने का प्रावधान था। जिसे घटकर मौजूदा सरकार ने 300 स्टूडेंट्स को विदेश में और 200 स्टूडेंट्स को देश में पढ़ने का फैसला किया है।
