पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा- मैं लट्ठमार बोलता हूं, कई बार MP मेरे लपेटे में आ जाते हैं। कटारिया ने उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत की ओर इशारा करते हुए कहा- इनको लगता होगा यार मैं तो MP हूं। होगा यार MP, उसका क्या है, कार्यकर्ता तो हो ना। इस बात पर सभागार ठहाकों से गूंज उठा। उदयपुर में सुखाड़िया रंगमंच पर सुंदर सिंह भंडारी चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। इसमें पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया और गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत समेत भाजपा के कई नेता मौजूद रहे। इस दौरान कटारिया ने जनसंघ के संस्थापक सदस्य सुन्दर सिंह भंडारी और अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद किया। वाजपेयी को सुनने टहनियों पर बैठे थे लोग मंच से संबोधन देते हुए कटारिया ने कहा- मुझे याद है वाजपेयी जी के कारण मैं 1620 वोटों से जीता। उदयपुर में वाजपेयी की अचानक सभा तय कर दी गई थी। तब मेरे पास कुछ नहीं था। हमने उदयपुर के गुलाबबाग में एक मंच बना दिया। वो रतलाम से आए थे। सामान्यत: नेता अव्यवस्था पर देखकर नाराज हो जाते हैं। वाजपेयी का चमत्कार देखिए कि मेरी जिदंगी में पहली आमसभा देख रहा हूं जिसमें लोग पेड़ की टहनी पर इधर-उधर बैठे हैं। उन्होंने जनता को अपनी तरफ आकर्षित किया। कार्यकर्ताओं में जोश भरा। उन्होंने यह आलोचना नहीं की थी कि यहां बिछाने को कुछ नहीं है और सिर्फ माइक लगा दिया और मुझे यहां खड़ा कर दिया। लेनदेन वाली सरकारी को मैं चिमटे से भी पकड़ना पसंद नहीं करूंगा कटारिया ने कहा- यह अटल बिहारी वाजपेयी और मिसाइलमैन अब्दुल कलाम की बहादुरी थी कि पोकरण से दुनिया को ललकारा था। उस समय अमेरिका तक की भौंहें चढ़ गई थी। कटारिया ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी के समय अविश्वास प्रस्ताव आया। तब बहस में वाजपेयी ने कहा था कि मैं पैसे के लेनदेन से बहुमत साबित करने वाली सरकार को चिमटे से भी पकड़ना पसंद नहीं करूंगा। जब एक वोट से सरकार गिर गई तो उन्होंने यह नहीं कहा कि दूसरी बार मौका दो कहीं गलत बटन दब गया होगा। वे तो पत्र लेकर राष्ट्रपति को इस्तीफा देने चले गए। कविताएं ऐसी, मरे को जिंदा कर दें कटारिया ने कहा- अटल जी की कविता ऐसी होती थी कि जीवन में उनकी कविता सुनकर मरे की भी जान पैदा हो जाए। अटल बिहारी जब विद्यार्थी थे तब उदयपुर के विद्या भवन में डिबेट में भाग लेने आए थे। उनकी ट्रेन लेट हो गई तो उनका नंबर निकल गया भले वे पहुंच गए थे, लेकिन उन्होंने कहा कि मुझे पुरस्कार मत देना, लेकिन मुझे कम से कम बोलने का मौका तो दें। उनका भाषण ऐसा था कि सारी सीमाएं लांघ कर पहला पुरस्कार उनको दिया गया। 10 हों या 10 हजार भंडारी जी समय के पक्के थे कटारिया ने जनसंघ के वरिष्ठ नेता सुन्दर सिंह भंडारी को भी याद किया। उन्होंने कहा- भंडारी कहते थे- मेरे कार्यक्रम में वही बैठ सकता जो पूरा कार्यक्रम अटेंड करें। या तो आए ही नहीं और आए तो पूरा यहां रुके। कार्यक्रम समय पर शुरू हो। यह अनुशासन हम सुंदर सिंह भंडारी से सीखे। नेताजी आ रहे हैं, नेताजी आ रहे हैं यह कहकर दो घंटे जनता को इंतजार कराए इसका जनता के लिए क्या मायने होंगे यह सोचना होगा। भंडारी जी की सभा में 10 बैठे हों या 10 हजार वह तय समय पर सभा शुरू कर देते थे। गुजरात के राज्यपाल ने पीएम के बचपन का किस्सा सुनाया वहीं गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा- गुजरात में 26 सरकारी विश्वविद्यालय है वहां भी बेटियों का आंकड़ा यहीं रहता है। मै बेटियों को भी बधाई देता हूं। मै गांव में किसान के घर पैदा हुआ हूं। ये बेटियां स्कूल में ही नहीं जाती इससे पहले घर के काम में भी ये सहयोग करती है। इन बेटियों ने कीर्तिमान बनाया है। आचार्य देवव्रत ने पीएम मोदी से जुड़ा किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा- मैं पीएम मोदी के गांव वडनगर गया हूं। उनका घर भी देखकर आया हूं। वे सरकारी स्कूल में पढ़ते थे। उनके गांव में शिवरात्रि पर मेला लगता था। आसपास के गांव के लोग भी मेले में आते थे। उनके पिता ने मेले में खरीदारी या खाने के लिए एक रुपया दिया। मोदी ने अपने सहपाठियों से पूछा था कि उनको कितने पैसे मिले। तो पता चला कि किसी को दो, किसी को एक रुपए मिला। चाहते तो वे मेले में कुछ खाकर घर आ जाते। मोदी ने सभी से कहा कि जिसको जितने पैसे मिले वो खर्च नहीं करने हैं। इनको इकठ्ठा कर यहां एक चाय की स्टॅाल लगाते हैं। मैं चाय बनाना जानता हूं। मेले में चाय की स्टॉल लगाते हैं और जो पैसा मिलेगा वो राजस्थान में आई बाढ़ के लिए बाढ़ पीड़ितों के लिए भेजेंगे। यह काम मोदी ने उस समय किया।
