राजस्थान के 9 जिले रद्द होने से यहां होने वाले इन्वेस्टमेंट और रोजगार के नए अवसर भी मुश्किल में आ गए हैं। इन जिलों में दो महीने पहले ही इन्वेस्टमेंट मीट का आयोजन किया गया था। जिसमें कई एमओयू पर साइन हुए थे, लेकिन अब इन्वेस्टर्स का कहना है कि अब वे इन्वेस्टमेंट को लेकर विचार करेंगे। नए जिलों में प्रशासन तक पहुंचने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी। पुराने जिलों के पास पहले से ही इतना काम है कि नए एमओयू का तेजी से आगे बढ़ना मुश्किल है। ऐसे में इसका असर निवेश और रोजगार के अवसरों पर पड़ना तय है। दरअसल, भजनलाल सरकार ने कांग्रेस सरकार के वक्त बने नए जिलों में से 9 जिलों और 3 संभागों को कैंसिल कर दिया। अशोक गहलोत ने 2023 में इन जिलों को बनाने का ऐलान किया था। सरकार के फैसले के बाद दैनिक भास्कर ने समाप्त किए गए जिलों में इन्वेस्टर्स से बात की। ज्यादातर का मानना था कि वे अपने जिले में निवेश कर रहे हैं, जिससे उन्हें भी फायदा होगा और लोगों को रोजगार भी मिलेंगे, लेकिन अब असमंजस की स्थिति है। नीमकाथाना के एक कारोबारी ने तो कहा कि जब सरकार के मंत्रियों की मौजूदगी में एमओयू हुए तो फिर जिलों को खत्म नहीं करना चाहिए था। इसी तरह अनूपगढ़ में 16 करोड़ का एमओयू करने वाले एक कारोबारी बोले कि हम अब पैसा क्यों लगाएंगे। दैनिक भास्कर से इन्वेस्टर्स बोले हमारा उत्साह कम हुआ- समाप्त किए गए जिलों में नीमकाथाना एक बड़ा जिला था। जहां प्रदेश की सबसे ज्यादा माइनिंग इंडस्ट्री है। यहां के कारोबारी दौलतराम गोयल से हमने बात की। गोयल बताते हैं कि जिला बनने से लोगों में उत्साह था। समिट में 73 कारोबारियों ने राजस्थान सरकार के मंत्री की मौजूदगी में एमओयू किया। उस वक्त लोग बहुत उत्साहित थे, लेकिन जब से जिला निरस्त हुआ है बहुत ज्यादा निराशा का माहौल है। कई इन्वेस्टर्स तो पीछे हट जाएंगे और यहां जो रोजगार की संभावनाएं बनी थीं, वे काफी कमजोर हो जाएंगी। इसलिए सरकार को इस पर वापस विचार करना चाहिए। बिजनेसमैन पवन नागपाल ने सरकार के फैसले को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि अनूपगढ़ में इन्वेस्टमेंट समिट में हमने एक हजार करोड़ के सोलर प्रोजेक्ट में इन्वेस्टमेंट का प्लान किया था। जिसमें सरकार को जमीन आवंटित करनी थी। अब यहां से जिला हटा दिया गया है। गंगानगर जिला प्रशासन के पास पहले से ही इतना काम होता है कि ये जमीन कब आवंटित होगी। पवन नागपाल ने कहा कि अब यदि सरकार जमीन भी आवंटित करती है तो इंवेस्ट करने का हमारा मन कमजोर हो गया है। हमने सोचा था कि एक एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी यहां डाली जाए, लेकिन अब जिला हटने से बच्चों का आना भी मुश्किल है। इसलिए हमें उस पर भी सोचना होगा कि यूनिवर्सिटी डाली जाए या नहीं। अनूपगढ़ में हमें आसानी से प्रशासन उपलब्ध होता था, लेकिन अब डेढ़ सौ किमी दूर गंगानगर जाना पड़ेगा। रिटायर्ड आईएएस केएल मीणा ने समझाया कि जिला रद्द होने पर निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा… सवाल: जिले में उद्योग होना या कस्बे में होना, किसी उद्योगपति के दृष्टिकोण से क्या फर्क पड़ता है? जवाब: उद्योगों के लिए अच्छी कनेक्टिविटी और सस्ता ट्रांसपोर्टेशन बहुत जरूरी है। ये चीजें विकसित शहर में ही संभव है, जो कि जिला मुख्यालय पर होना संभव होता है। शहर में सभी विभागों के दफ्तर भी होते हैं। ऐसे में उद्योगों को भी सरकार से मिलकर काम करने में काफी आसानी होती है। यही वजह है कि उद्योगपति उन जिलों में ही निवेश करना पसंद करते हैं, जहां भविष्य में तरक्की की संभावना हो। सवाल: जो जिले रद्द हो गए वहां होटल और एजुकेशन संबंधी निवेशक आएंगे? जवाब: जिले रद्द होने से निवेशक निराश तो होंगे ही। निवेशक अपने पैसे को लगाने से पहले लॉन्ग टर्म की प्लानिंग करता है। निवेशकों ने जब एमओयू साइन किए थे तक उन्होंने जिले के लिहाज से प्लानिंग की थी। उन्होंने सोचा था कि उनके होटल, कॉलेज या कोई भी इंडस्ट्री बनेगी वो राजस्थान के बड़े जिला मुख्यालय जैसे उदयपुर, कोटा या जयपुर जैसा रूप लेंगे। इसके विपरीत सरकार ने जब जिले ही रद्द कर दिए तो निवेशक भी इसे घाटे का सौदा समझेगा। सवाल: प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राइजिंग राजस्थान जैसे इन्वेस्टमेंट समिट कितने कारगार होते हैं? जवाब: जब ऐसे समिट होते हैं तो सरकार उद्योगों को भरोसा देती है कि उन्हें वहां क्या-क्या सुविधाएं दी जाएंगी। उन्हें सड़क, बिजली-पानी, जमीन और स्किल्ड मैनपावर उपलब्ध करवाने का दावा भी करती हैं। इसके बाद निवेशक समझौते के तहत इन्वेस्टमेंट का वादा करता है, लेकिन सरकार के सभी विभागों के बीच आपसी तालमेल की कमी और विकास कार्यों की धीमी गति निवेशकों को निराश करते हैं। इस वजह से ऐसे समिट अक्सर सफल नहीं हो पाते हैं। 2 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार का दावा था जयपुर, जयपुर ग्रामीण और दूदू जिलों की इन्वेस्टर्स मीट जयपुर के आरआईसी सेंटर में हुई थी। दावा किया गया कि इससे 2 लाख 6 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। समिट में मुख्यमंत्री भजनलाल भी शामिल हुए थे। उनके अलावा कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल, मेयर कुसुम यादव, जिला प्रमुख रमा चौपड़ा विधायक गोपाल शर्मा, कैलाश वर्मा और मुख्य सचिव सुधांश पंत भी मौजूद थे। जोधपुर-जोधपुर ग्रामीण में हुए 17,350 करोड़ के एमओयू राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट मीट में जोधपुर और जोधपुर ग्रामीण जिले में 17 हजार 350 करोड़ निवेश के एमओयू किए गए। इसके साथ ही लगभग 57 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद थी। सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट जोधपुर ग्रामीण जिले के घोडावेट गांव में लगने वाले सीमेंट प्लांट का था। कंपनी ने 2 हजार 300 करोड रूपये का निवेश करने का एमओयू साइन किया है। इसके अलावा और भी एरिया में इन्वेस्टमेंट आना था। अनूपगढ़ में 141 एमओयू हुए जिला बनने के बाद अनूपगढ़ में काफी खुशी थी। स्थानीय लोग भी यहां विकास और निवेश को लेकर उत्साहित थे। अक्टूबर में हुई इन्वेस्टमेंट समिट में यहां 141 उद्योगपतियों ने निवेश करने में रुचि दिखाई। निवेश से 4732 लोगों को प्रत्यक्ष और 29150 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार का दावा था। जिले के प्रभारी मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर और केंद्रीय कानून राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल इस समिट में वर्चुअल रूप से जुड़े थे। मंत्रियों और आला अधिकारियों से मिले आश्वासनों के कारण ही निवेशकों ने यहां इतना बड़ा निवेश करने की इच्छा जताई थी, लेकिन अब उन्हें फोलो करने के लिए कलेक्टर ही नहीं रहेंगे। 1905 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव नीमकाथाना राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में निवेश के 1905 करोड़ के प्रस्ताव दिए गए थे। दावा किया गया कि इससे 3 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। इस समिट में यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा था कि आने वाले दो-तीन सालों में यह सभी समझौता पत्र को धरातल पर उतारा जाएगा। अब जिला समाप्त हो जाने से इन एमओयू का क्या होगा, ये कहना मुश्किल है। केकड़ी में एजुकेशन सेक्टर को मिलना था बढ़ावा केकड़ी में जिला स्तरीय राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में 3100 करोड़ रुपए के 239 एमओयू हुए। इनमें सबसे ज्यादा एमओयू शिक्षा के क्षेत्र के थे। दावा किया गया कि इन एमओयू से 7 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा। समिट में उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी कहा था कि इस समिट से जिले के साथ-साथ प्रदेश में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा। विधायक शत्रुघ्न गौतम ने कहा कि राइजिंग राजस्थान मुख्यमंत्री का दूरदर्शी विजन है। शाहपुरा में एक जिला एक उत्पाद में होना था निवेश शाहपुरा में 75 एमओयू हुए। जिसमें लगभग 1435 करोड़ के निवेश और 4465 लोगों को रोजगार का दावा किया गया। समिट में प्रभारी मंत्री डॉ. मंजू बाघमार, जहाजपुर विधायक गोपीचंद मीणा और कलक्टर राजेन्द्र सिंह शेखावत मौजूद थे। इस समिट में ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना के तहत टेक्सटाइल प्रोडक्ट के क्षेत्र में 7 एमओयू किए गए। जिसमें 220.59 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट का दावा किया गया। गंगापुर सिटी में पांच हजार रोजगार का दावा गंगापुर सिटी में 106 औद्योगिक ईकाईयों के साथ 945.40 करोड़ रुपए के एमओयू हुए। दावा किया गया कि इससे 5 हजार 516 लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रभारी सचिव महेन्द्र सोनी और कलेक्टर डॉ. गौरव सैनी मौजूद थे। इन अधिकारियों ने इन्वेस्टर्स को आश्वासन दिया था कि जिले में सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। सांचौर में 2,746 करोड़ रुपए के हुए एमओयू सांचौर के राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में सोलर प्रोजेक्ट, रियल एस्टेट, हेल्थकेयर, एग्रो-इंडस्ट्री, हैंडीक्राफ्ट, एजुकेशन, और होटल इंडस्ट्री में 2,746 करोड़ रुपये के 65 एमओयू पर साइन किए गए। इन क्षेत्रों में होना था निवेश इन जिलों में जो एमओयू किए गए थे, उनमें ज्यादातर नई इंडस्ट्रीज से जुडे़े थे। स्थानीय बड़े कारोबारियों और प्रवासियों ने इसमें रुचि दिखाई थी। जो एमओयू किए गए थे उनमें टूरिज्म, एजुकेशन, कौशल विकास, मेडिकल सेक्टर, सोलर और रिन्युएबल एनर्जी के लिए प्लांट, वेस्ट मैनेजमेंट सेक्टर, एग्रो और फूड प्रोसेसिंग, बायो एनर्जी, माइनिंग और मिनरल सेक्टर, वेयरहाउसिंग, जेम्स एंड ज्वेलरी,स्पोर्ट्स, गारमेंट, ई-वेस्ट, केबल, रीयल एस्टेट, ऑयल रिफायनरी, टेक्सटाइल, सीमेंट, सेरेमिक टाइल और स्टोन क्रेशर से जुड़े थे। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री अलग-अलग समिट में शामिल हुए थे…. क्या थी इन्वेस्टमेंट समिट? प्रदेश में इन्वेस्टमेंट लाने के लिए सरकार ने दिसंबर माह में जयपुर में राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट का आयोजन किया था। इससे पहले अक्टूबर माह में प्रत्येक जिला मुख्यालय पर इन्वेस्टमेंट समिट हुई। जिसके लिए कलेक्टर्स को जिम्मेदारी दी गई थी। इन समिट में सरकार के मंत्री और प्रभारी सचिव भी शामिल हुए थे। जयपुर ग्रामीण, दूदू, नीमकाथाना, अनूपगढ़, केकड़ी, शाहपुरा और गंगापुर सिटी, सांचौर और जोधपुर ग्रामीण में भी यह समिट हुई थी। जिन्हें अब समाप्त कर दिया गया है। सहयोग : अनुज कांटिया (शाहपुरा), मनोज गुर्जर (केकड़ी), विक्रमसिंह गर्ग (सांचौर) …….. 9 जिले खत्म करने से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए… 1. कांग्रेस के बनाए 17 जिलों में 9 ही क्यों हटाए:भाजपा के गढ़ को नहीं छेड़ा, कांग्रेस के गढ़ से संभाग भी छीना, सबसे बड़ा फैसला या सबसे बड़ी चुनौती? राजस्थान में नौ जिले और तीन संभाग कम होने से सिर्फ प्रदेश का भूगोल ही नहीं बदला, बल्कि कई परसेप्शन भी बदल गए। कड़ाके की ठंड में सियासी तूफान का असर राज्य की राजनीति में लंबे समय तक देखने को मिलेगा। पूरी खबर पढ़िए… 2. ‘जिले खत्म करने से डिप्टी सीएम बैरवा सबसे ज्यादा खुश’:भाजपा प्रभारी ने अधिकारियों को लेकर कहा- जो काम करेगा वो ही रहेगा भजनलाल सरकार के 9 जिले और 3 संभाग खत्म करने के निर्णय पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बयान पर बीजेपी प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल ने पलटवार किया है। वे बोले- गहलोत को लगता है कि राजनीति में हर व्यक्ति इसी तरह सोचता है। पूरी खबर पढ़िए…
