राजस्थान का अर्द्धकुंभ कहलाने वाला सुंईया मेला 29-30 दिसंबर को भरेगा (लगेगा)। यह मेला खास पंचयोग बनने पर ही भरता है। दो दिन के इस मेले में 10 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए खास व्यवस्थाएं की हैं। पूरे इलाके में सैकड़ों नल लगाए गए हैं। पहाड़ काटकर रास्ता बनाया गया है। बाड़मेर से 44 KM दूर चौहटन की पहाड़ियों में स्थित सुंईया महादेव मंदिर में मेला लगेगा। पहाड़ी पर महादेव के चरणों के नीचे से धारा के रूप में पानी बहकर झरने के रूप में कुंड में इकट्ठा होता है। कुंड में पवित्र स्नान के लिए प्रदेशभर से श्रद्धालु आ रहे हैं। मान्यता है कि पांडवों ने पवित्र कुंड में स्नान करने के लिए 12 साल तक इंतजार किया था। ‘पंचयोग’ नहीं बनने के कारण उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा था। इस बार 7 साल बाद ‘पंचयोग’ बना है। इस मेले की क्या धार्मिक मान्यताएं हैं? इस बार मेले में क्या खास होने वाला है? पढ़िए खास रिपोर्ट… सुंईया मेले का पंचयोग इस बार 29 और 30 दिसंबर को है। बीते 81 साल में यह 12वां मौका है, जब यह पंचयोग बन रहा है। पंचयोग का मतलब- पौष का महीना, अमावस्या का दिन, सप्ताह में सोमवार, व्यातिपात योग एवं मूल नक्षत्र का जब मेल होता है तो पंचयोग बनता है। 1944 से लेकर अब तक 12वां मेला, क्योंकि पंचयोग होने पर ही होता है आयोजन
महंत जगदीशपुरी ने बताया कि जैसे कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर सरोवर में, कोलायत सरोवर, हरिद्वार में गंगा स्नान की मान्यता है, ठीक वैसे ही सुईयां कुंड में स्नान का भी महत्व है। कुंभ के महात्म्य की तरह बाड़मेर जिले के चौहटन में अर्द्धकुंभ के नाम से सुंईया मेला भरता है। यह मेला किसी विशेष तिथि या प्रतिवर्ष नहीं लगता है। पौष माह, अमावस्या, सोमवार, व्यातिपात योग एवं मूल नक्षत्र आदि जब पांच योग आपस में मिलते हैं, तभी इस मेले का आयोजन होता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस योग का पुण्य लेने के लिए 3 झरनों से निकलने वाले पवित्र जल में स्नान करते हैं, जो एक कुंड में इकट्ठा होता है। महंत जगदीशपुरी बताते हैं- चौहटन को धर्म नगरी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यहां कपिल मुनि ने तपस्या की थी, जिसे अब ‘कपालेश्वर धाम’ के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा यहां अज्ञात वास के दौरान पांडवों ने कई साल बिताए थे। इसके साथ ही यहां डूंगरपुरी महाराज का मठ, इंद्रभान तालाब सहित अन्य कई मंदिर व मठ हैं। 2017 में बना था पंच योग
सुंईया स्नान के लिए पंचयोग का संयोग बहुत ही कम बनता है। पिछले मेलों की जानकारी देखें तो सबसे लंबा समय 1956 के 14 साल बाद 1970 में सुंईया मेला भरा गया। सबसे कम अंतराल 1944 के बाद रहा। महज 2 साल बाद 1946 में पंचयोग बन गया था। मेले का आयोजन हुआ। लंबे अंतराल में 1977 के बाद 1990 में 13 साल, 2005 के बाद 2017 में 8 साल का रहा। इस बार 2017 के बाद अब 2024 तक 7 साल अंतराल के बाद पंचयोग बना है। मेले की क्या है मान्यता?
मान्यता है कि इस पंचयोग का पुण्य लेने के लिए अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां 12 साल बिताए थे। लेकिन उस दौरान पांचों योग का संयोग बैठा ही नहीं। इस वजह से वे सुंईया में दिव्य स्नान नहीं कर पाए। ऐसा माना जाता है कि इससे क्रोधित हुए पांडवों ने श्राप दिया कि इस युग में यह योग नहीं आएगा। लेकिन कलयुग में ऐसे योग का इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ये योग बार-बार आाएगा। मेला कमेटी के पास मौजूद आंकड़ों के अनुसार सन 1944 से लेकर अब तक 11 बार पंचयोग बना है। अब 12वीं बार 30 दिसंबर को यह योग बन रहा है। मेले के दौरान श्रद्धालुओं के ठहराव, स्नान सहित तमाम सुविधाओं को लेकर तैयारियां करीब-करीब पूरी हो गई हैं। जीएलआर के माध्यम से पूरे चौहटन शहर में होगी सप्लाई
मठ से जुड़े देवाराम ने बताया कि सुंईया धाम के पास बने इंद्र बाण कुंड में तीन झरनों का पानी मिलता है। इसमें सुंईया, विष्णु पगलिया और कपालेश्वर महादेव शामिल है। तीनों धार्मिक स्थल पर झरने हैं, जिनका पानी एक साथ इंद्र कुंड में मिलता है। हर बार इस कुंड के पानी से स्नान के लिए 50 छोटे-छोटे पाइप पर नल लगाए जाते थे। स्थानीय लोग एक दिन पहले ही बोतल या बर्तनों में कुंड का पानी घर ले जाते थे। प्रयागराज के कुंभ में नल देख आया आइडिया
देवाराम ने बताया कि महाराज जगदीशपुरी देशभर में भ्रमण करते हैं। कुछ महीने पहले वे प्रयागराज गए थे, जहां कुंभ की तैयारी चल रही थी। यहां उन्होंने पाइप पर बहुत सारे नल लगे देखे तो आइडिया आया। इसके बाद उन्होंने कुंड का पानी पहुंचाने के लिए शहर में करीब एक हजार नल लगवाने का निर्णय लिया। 30 दिसंबर को इस पवित्र कुंड का पानी सीधे लोगों के घरों तक पहुंचेगा
इसके लिए 2 हजार फीट लंबी पाइप लाइन बिछाई गई और 1 हजार नल कनेक्शन जोड़े गए। इसके लिए 31.50 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। इनमें मठ के पास 500 नल पुरुषों और 200 महिलाओं के लिए लगाए गए हैं। बाकी 300 नल चौहटन कस्बे के सरकारी ऑफिस से लेकर अलग-अलग जगह पर लगाए गए हैं ताकि इस दिन स्नान से कोई वंचित नहीं रहे। इसके साथ कस्बे में घर-घर तक कुंड का पानी पहुंचाने के लिए जीएआर को भी कुंड की पाइप लाइन से कनेक्ट किया गया है। चौहटन शहर के लिए सप्लाई होने वाली टंकी पहाड़ों में मठ के पास में ही है। वहां पर पहले से पाइप लाइन बिछी हुई है। टंकी के पास एक टी लगाकर एक पाइप लाइन उस जीएलआर से जोड़ दी गई है। यानी 30 दिसंबर को इस पवित्र कुंड का पानी सीधे लोगों के घरों तक पहुंचेगा। पहाड़ तक जाने के लिए बनाया पक्का रास्ता
2017 में जब मेला हुआ, उस समय यहां सीढ़ियां नहीं थीं। कपालेश्वर से सुंईया आने-जाने वालों के लिए सीढ़ियां एक ही थीं। श्रद्धालुओं को परेशानी होती थी। कल्पालेश्वर से एक ही रास्ता इंद्र बाण कुंड जाता था और वो ही दोबारा आने का रास्ता था। देवाराम ने बताया कि सीढ़ियों के दीवारें भी नहीं थीं। तब लकड़ी के बैरिकेड्स लगाने पड़ते थे। ऐसे में हादसों का डर भी रहता था। साल 2018 में तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे यहां आईं तब जगदीशपुरी महाराज ने पक्का रास्ता बनवाने का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने 7 करोड़ का बजट रास्ता बनाने के लिए जारी किया था। स्थानीय विधायक कोष, जिला प्रमुख के फंड से करीब 2 साल में यह रास्ता बनकर तैयार हुआ। अकाल के समय में झरना चल रहा था
महाराज जगदीश पुरी ने बताया- 1967 और 1968 क्षेत्र में अकाल पड़ा था। तब 2 साल बारिश नहीं हुई थी। उस समय भी यहां के झरने सूखे नहीं थे। बरसात का पानी पहाड़ों में जो पानी इकट्ठा होता है। वही पानी पहाड़ों से रिसकर पहुंचता है। जब वह पानी देवी-देवताओं के झरने में पहुंचता है तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है। महादेव के भक्त के सुंईया माली
सुंईया माली भक्त थे। उन्होंने कड़ी तपस्या की थी। महादेव ने प्रसन्न होकर कहा था- क्या चाहिए आप मांगो। तब उन्होंने कहा था कि भगवान मेरा नाम आपके साथ-साथ जुड़ा रहे, और कोई इच्छा नहीं है। मुक्ति तो आप कर ही देना। तब महादेवजी ने तथास्तु कह दिया था। तब से सुंईया महादेव मेला कहलाने लगा। मेले में 2 दिन में 3 हजार सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगेगी
एसडीएम कुसुमलता ने बताया- दो दिन मेले में 2500-3000 सरकारी कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, 10 लाख से ऊपर श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। साल 2017 में 7-8 लाख श्रद्धालु आए थे। गुरुवार को हुए ध्वजारोहण के दिन भी 5-6 हजार लोग आए थे। महिला स्नानघर में चेजिंग रूम बनाए गए हैं। श्रद्धालुओं के लिए स्नान का लाभ चौहटन कस्बे में भी ले सकते हैं। 30 दिसंबर को सुबह 4 बजे अमावस्या लगने के साथ ही श्रद्धालु स्नान करना शुरू करेंगे। इसके लिए 1500 से लेकर 2500 तक पुलिस फोर्स लगाया गया है। कर्मचारियों और श्रद्धालुओं के लिए सभी इंतजाम करने के लिए 31 प्राइवेट एवं सरकारी संस्थाओं के भवनों को लिया गया है। सभी भवनों के लिए बात कर ली गई। बिस्तर से लेकर खाने-पीने की व्यवस्था कर दी गई है। श्रद्धालुओं के लिए अलग से 500 टॉयलेट बनाए गए हैं।
