मानसून ने लौटाई खेतों की रौनक:15 साल से सूखे कुएं-बोरवेल लबालब, कई जगह 10 साल बाद सर्दी में खेती; किसान बोले- हमारे बच्चों ने पहली बार देखा

पांच दिन में सन् 2024​ विदा होने वाला है, लेकिन इस साल हुई मानूसन की बारिश का असर नए साल के शुरुआती महीनों में भी बने रहने की उम्मीद है। राजधानी में औसत से करीब दोगुना हुई बारिश से 15 साल से सूखे कुएं और बोरवेल अब भी भरपूर पानी दे रहे हैं और आसपास के गांवों के खेत लहलहा रहे हैं। ऐसा 10 साल बाद हुआ है, जब सर्दी में कई जगह खेती हो रही है। जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, गिरते भूजल स्तर के मामले में राजस्थान देश के टॉप-5 राज्यों में शामिल है। पिछले 10 साल में 59% तक भूजल स्तर गिरा था, लेकिन 2024 की बारिश ने गिरते भूजल के संकट पर मरहम का काम किया है। सूखे कुओं में ऊपर तक पानी भर आया है। जिन ट्यूबवेल्स में खारा पानी था, वे भी अब मीठा पानी दे रहे हैं। स्थिति ये है कि लोगों ने कैंपर से पानी मंगवाना बंद कर दिया है। राजस्थान में कुल 691 बांध हैं
जिनकी भराव क्षमता 12900.82
मिलियन क्यूबिक मीटर (एमक्यूएम) है आगरा रोड निवासी गोपाल शर्मा ने बताया- खेतों के बीच 40-50 साल पुराना कुआं है, जो वर्षों से सूखा पड़ा था। इस साल कुएं के ऊपर तक पानी दिख रहा है, जो बच्चों ने पहली बार देखा है। ट्यूबवेल में भी दो-तीन गुना पानी बढ़ा है। पीने के लिए कैंपर मंगाते थे, अब बंजर खेतों में भी खेती भास्कर एक्सपर्ट- 300-400 फीट पर पानी सियाराम ट्यूबवेल के कृष्ण कुमार चौधरी पिछले 30 साल से इस पेशे में हैं। उन्होंने बताया कि जयपुर और आसपास हमारी गाड़ियां हर माह 25 बोरवेल करती हैं। 10 साल पहले 300-400 फीट पर मिलने वाला पानी 800-900 फीट तक चला गया था। 20-30% में ही पानी मिलता था, वह भी खारा। अभी फिर 300-400 फीट पर पानी मिलने लगा है।