फलोदी जिले की खीचन ग्राम पंचायत के सरपंच और वीडीओ मनरेगा के 3 कामों में 58.73 लाख रुपए की गड़बड़ी के दोषी पाए गए थे। कलेक्टर और जिला परिषद सीईओ के निर्देश पर यह जांच फलोदी पंचायत समिति के बीडीओ नारायण सुथार ने की थी। इसी अधिकारी ने एक और कमेटी बनाकर क्लीन चिट भी दिलवा दी। जब एसीईओ का चार्ज आया तो 4 अक्टूबर 2024 को एक और जांच कमेटी बिठा दी। इस कमेटी ने 12 नवंबर 2024 को तीनों मामलों में सरपंच और बीडीओ को क्लीन चिट दे दी। इस जांच रिपोर्ट में जेसीबी ड्राइवर और श्रमिकों के बयान को ही आधार बताया गया। दूसरी जांच में परिवादी का पक्ष तक नहीं सुना गया। अब सरपंच लता कंवर और ग्राम विकास अधिकारी विजयपाल बाना दूसरी जांच के आधार पर खुद को पाक-साफ बता रहे हैं। सरपंच का कहना है कि पहले वाली जांच में भी लेखा अधिकारी राजेंद्र प्रसाद पालीवाल ने काम को सही पाया था। जबकि रिपोर्ट में लिखा है कि मौके पर कई बार बुलाने के बावजूद पालीवाल गए नहीं थे। पालीवाल का भी कहना है कि बीडीओ ने पहले ही जांच रिपोर्ट सब्मिट कर दी थी। बता दें कि यहां पर खसरा नंबर 143 में मुक्तिधाम विकास, खसरा नंबर 44 में नाडी खुदाई और धोलकी नाडी खुदाई में अनियमितता को लेकर 13 दिसंबर 2023 को रावल सिंह नाम के व्यक्ति ने कलेक्टर हरजीराम अटल को शिकायत दी थी। गत 7 जून 2024 को पेश पहली जांच रिपोर्ट में कार्यकारी एजेंसी के रूप में सरपंच और वीडीओ को दोषी माना गया था। ब्लॉक स्तरीय टीम ने मौके से जिस सीसी ब्लॉक का सैंपल लिया, वह फेल हो गया था। इधर, जिला परिषद के सीईओ डॉ. धीरज कुमार सिंह का कहना है कि पुरानी रिपोर्ट को आधार बनाकर ही कार्रवाई करेंगे। पहली जांच खुद बीडीओ ने की थी, 5 महीने बाद दूसरी जांच कमेटी बना दी बीडीओ नारायण सुथार ने एसीईओ का चार्ज खत्म होने के आखिरी दिन दूसरी जांच कमेटी बनाई और उसी दिन 4 अक्टूबर 2024 को वह बापिनी पंचायत समिति में बीडीओ के पद पर रिलीव हो गए। पहली कमेटी में जहां चार लोग थे वहीं इस बार केवल 2 लोग पंचायत समिति घंटियाली के सहायक अभियंता हनुमान राम चौधरी और पंचायत समिति फलोदी के सहायक विकास अधिकारी प्रेम रतन दवे को शामिल किया था। इस कमेटी ने सरपंच और वीडीओ को क्लीन चिट देते हुए परिवादी की शिकायत को निराधार बता दिया था। जबकि पहली जांच कमेटी में सुथार के साथ फलोदी के एईएन कपिल दवे, कनिष्ठ तकनीकी सहायक मानसिंह, जेईएन ललित किशोर बिश्नोई और लेखाधिकारी राजेंद्र प्रसाद पालीवाल भी थे। वे 3 सवाल जिनसे सवालों के घेरे में आ गई दूसरी जांच बीडीओ ने कहा- दूसरी कमेटी बना चला गया था
तत्कालीन बीडीओ रहे नारायण सुथार का कहना है कि पहले वाली जांच में अगर मेरे हस्ताक्षर हैं तो वह सही थी। दूसरे वाली जांच में कमेटी बनाकर मैं तो निकल गया था। उसके बाद किसने क्या किया यह मुझे नहीं पता। दूसरी जांच कमेटी में शामिल एईएन हनुमान राम चौधरी का कहना है कि शिकायत के 8 महीने बाद कैसे वेरिफाई कर सकते थे। -सहा. विकास अधिकारी प्रेम रतन दवे ने कहा-मौका निरीक्षण, श्रमिक और जेसीबी ड्राइवर के बयानों को आधार बनाया।
