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ब्यावर से DPDPA कानून के खिलाफ नए आंदोलन की घोषणा:RTI मेले में पूर्व न्यायाधीश और सामाजिक कार्यकर्ता हुए शामिल - Bharatpur Blog

ब्यावर से DPDPA कानून के खिलाफ नए आंदोलन की घोषणा:RTI मेले में पूर्व न्यायाधीश और सामाजिक कार्यकर्ता हुए शामिल

ब्यावर में सूचना के अधिकार (RTI) मेले के दौरान डेटा संरक्षण कानून (DPDPA) के खिलाफ एक नए राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा की गई। मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) द्वारा आयोजित इस मेले में देशभर के सामाजिक कार्यकर्ता, पूर्व न्यायाधीश और सूचना आयुक्त शामिल हुए। इस अवसर पर ‘सूचना का अधिकार संग्रहालय’ बनाने और ‘ब्यावर घोषणा पत्र – भाग 2’ जारी करने की भी घोषणा की गई। सूचना के अधिकार आंदोलन की जन्मस्थली ब्यावर में रविवार को यह मेला आयोजित किया गया। इसमें पारदर्शिता और जवाबदेही की आवाज को एक बार फिर बुलंद किया गया। मेले में विभिन्न कार्यशालाएं भी आयोजित की गईं, जिनमें नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि जिस तरह RTI आंदोलन की शुरुआत ब्यावर से हुई थी, उसी तरह DPDPA कानून के खिलाफ भी नए आंदोलन की शुरुआत यहीं से होगी। उन्होंने DPDPA कानून को पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना पर हमला बताया और सरकार से RTI कानून में किए गए संशोधनों को वापस लेने की मांग की। पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए. पी. शाह ने DPDPA कानून पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि RTI जनता के संघर्ष से उपजा कानून है, न कि संसद की देन। उन्होंने कहा कि RTI ने जनता को सत्ता के बंद बक्से खोलने की चाबी दी थी, जिसे DPDPA के जरिए सरकारें फिर से बंद करना चाहती हैं। न्यायमूर्ति शाह ने ब्यावर में बनने वाले संग्रहालय को पारदर्शिता की ऐतिहासिक विरासत को जीवित रखने वाला बताया। पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वज़ाहत हबीबुल्लाह ने कहा कि जनता ने RTI को जन्म दिया है, इसलिए इसकी रक्षा की जिम्मेदारी भी जनता की ही है। सामाजिक कार्यकर्ता रामप्रसाद कुमावत ने RTI को जीवित रखने के लिए जनता की सतर्कता को आवश्यक बताया और ब्यावर को ‘आरटीआई सिटी’ बनाने का आह्वान किया।

“RTI की रक्षा जनता की जिम्मेदारी” — वज़ाहत हबीबुल्लाह देश के पहले मुख्य सूचना आयुक्त वज़ाहत हबीबुल्लाह ने कहा, “सूचना का अधिकार सत्ता और नागरिकों के संबंध को बदलने वाला ऐतिहासिक कदम था। लेकिन अब सत्ता इसे सीमित करना चाहती है। जब जनता ने इसे जन्म दिया है, तो उसकी रक्षा की जिम्मेदारी भी जनता की ही है।” “अब जवाबदेही कानून की लड़ाई” — निखिल डे MKSS के निखिल डे ने कहा कि “पारदर्शिता की लड़ाई हमने RTI से जीती, अब जवाबदेही कानून की बारी है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सत्ता जनता के प्रति जवाबदेह बने।” “ब्यावर को ‘RTI सिटी’ बनाएं” — रामप्रसाद कुमावत निरंतर के संपादक रामप्रसाद कुमावत ने कहा, “RTI को जीवित रखना जनता की सतर्कता पर निर्भर है। ब्यावर को ‘RTI City’ घोषित कर हम इस आंदोलन को नया जीवन दे सकते हैं। हर नागरिक अपने पत्रों और दस्तावेज़ों पर ‘RTI City Beawar’ लिखना शुरू करे।” “लोकतंत्र की रीढ़ है सूचना का अधिकार” — कविता श्रीवास्तव PUCL की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा कि “सूचना का अधिकार केवल पारदर्शिता नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रीढ़ है। DPDPA के ज़रिए जनता के इस जन्मसिद्ध अधिकार को कमजोर करने की कोशिश हो रही है, जिसे हम कभी सफल नहीं होने देंगे।” 15 कार्यशालाओं में उभरे ठोस प्रस्ताव मेले में देशभर से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और नागरिकों की उपस्थिति में 15 विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित की गईं। पारदर्शिता, जवाबदेही और डेटा सुरक्षा पर केंद्रित इन चर्चाओं से कई ठोस प्रस्ताव निकले, जिन्हें भविष्य की दिशा तय करने वाला बताया गया। सांस्कृतिक सत्रों में गूंजे जनगीत मेले के सांस्कृतिक सत्रों में “मैं नहीं मांगा” और “जानने का हक़” जैसे जनगीतों ने लोगों को आंदोलनों की यादों से जोड़ दिया। पूरे आयोजन में लोकतंत्र, पारदर्शिता और जनता की ताकत की गूंज सुनाई दी। इस अवसर पर देशभर के सामाजिक संगठनों, सूचना कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने एक स्वर में कहा — “सूचना का अधिकार जनता का अधिकार है, और इसे किसी भी सूरत में कमजोर नहीं होने देंगे।”