बीकानेर बंद में लॉरेंस बिश्नोई के पोस्टर से विवाद:आयोजक बोले- ये हमारे लोग नहीं; खेजड़ी कटाई को लेकर सड़कों पर बिश्नोई समाज

सोलर कंपनियों के खेजड़ी के पेड़ काटने के विरोध में बिश्नोई महासभा ने बीकानेर बंद करवाया। 7 घंटे शहर के सभी व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखी। इस दौरान प्रदर्शन में लॉरेंस बिश्नोई के पोस्टर लहराने की बात को लेकर विवाद हो गया। कार्यक्रम के आयोजक पूर्व पार्षद मनोज बिश्नोई ने कहा- लॉरेंस के फोटो लगा पोस्टर लहराने वाले हमारे कार्यकर्ता नहीं हैं। इस आंदोलन से उनका कोई लेनादेना नहीं है। वहीं बीकानेर पुलिस वीडियो के आधार पर इन युवकों की तलाश कर रही है। आयोजक बोले- लॉरेंस का पोस्टर लाए युवकों से हमारा लेनादेना नहीं बीकानेर बंद के आयोजक मनोज बिश्नोई ने बताया कि सोशल मीडिया पर दावे किए जा रहे हैं बीकानेर बंद में लॉरेंस बिश्नोई के पोस्टर के साथ बाजार बंद करवाए जा रहे हैं। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। शांतिपूर्ण रैली में सर्वसमाज के लोगों और व्यापारियों ने हमें समर्थन दिया। रैली में लॉरेंस का पोस्टर लेकर आए युवक कौन हैं, ये हमें नहीं मालूम। पुलिस अपने स्तर पर इनकी जांच कर रही रही है। हमारा आंदोलन खेजड़ी बचाने को लेकर है। सोलर कंपनियां काट रही खेजड़ी बिश्नोई ने कहा- बीकानेर में सोलर कंपनियों की ओर से लगातार खेजड़ी के पेड़ काटे जा रहे हैं। इसे लेकर राज्य सरकार की ओर से कोई नीति नहीं बनाई गई है। गुरुवार को इसी को लेकर बीकानेर बंद किया गया था। सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे बीकानेर बंद सफल रहा। हमारे बिश्नोई महासभा के कार्यकर्ताओं ने मुख्य मार्गों के साथ ही गली-मोहल्लों की दुकानें भी बंद करवाई। शहर के कई प्राइवेट मार्केट भी बंद रखे गए। बिश्नोई ने बताया- बीकानेर में कोटगेट से केईएम रोड और कोटगेट से दाऊजी मंदिर तक दुकानें बंद रही। दाऊजी मंदिर से सार्दुल सिंह सर्किल तक दुकानें पूरी तरह बंद रही। इसके अलावा जस्सूसर गेट, नत्थूसर गेट, रानी बाजार, स्टेशन रोड, पंचशती सर्किल, जयनारायण व्यास कॉलोनी, खजांची मार्केट, जैन मार्केट सहित अनेक क्षेत्रों में भी बाजार पूरी तरह बंद रहे। पदाधिकारियों ने अत्यावश्यक सेवाओं को बंद नहीं करवाया। अस्पताल और दवा की दुकान सुचारु रूप से चलती रहीं। कई गांवों से लुप्त हुई खेजड़ी बिश्नोई ने कहा- बीकानेर के ग्रामीण क्षेत्रों में नए-नए सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं। इन प्लांट्स को लगाने के लिए हजारों की संख्या में खेजड़ी के पेड़ काट दिए गए हैं। पेड़ों को काटने के बाद नियमानुसार दूसरे लगाने होते हैं। ये काम भी नहीं हो रहा। स्थिति ये है कि अकेले बीकानेर में कई गांवों से खेजड़ी लुप्त हो गई है। सीएम से मिलने के बाद हुआ था धरना समाप्त बिश्नोई ने कहा- बीकानेर के कलेक्टरी परिसर में ग्रामीण अर्से से धरना दे रहे थे। इसके बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से नागौर यात्रा के दौरान मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में जल्द ही सख्त कानून बनाने और गैर कानूनी तरीके से खेजड़ी के पेड़ काटने वालों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया था। इसी आश्वासन पर धरना समाप्त कर दिया गया था। अब तक इस दिशा में कोई काम नहीं होने पर अब बीकानेर बंद की घोषणा की गई। पेड़ बचाने के लिए कट गए थे लोग ‘सिर सांठे रूंख रहे तो भी सस्तों जांण… यानी सिर कटने से पेड़ बच जाएं तो सस्ता सौदा है।’ इसे मानते हुए खेजड़ी का पेड़ बचाने के लिए 363 लोगों ने अपनी जान दे दी थी। ये बलिदान इतिहास के पन्नों में दर्ज है। सितंबर 1730… मंगलवार का दिन था। मारवाड़-जोधपुर के महाराजा अभय सिंह नया महल बनवा रहे थे। महल निर्माण के लिए लकड़ियों की जरूरत थी। महल से 24 किलोमीटर दूर गांव खेजड़ली से पेड़ काटकर लाने का आदेश दिया गया था। सैनिक खेजड़ली गांव पहुंचे और रामू खोड़ के घर के बाहर लगा खेजड़ी का पेड़ काटने लगे। इसका रामू की पत्नी अमृता देवी ने विरोध किया था। वह विरोध करते हुए पेड़ से चिपक गई थीं। तब सैनिकों ने उन्हें कुल्हाड़ी से काट दिया था। इसके बाद 362 लोग खेजड़ी के पेड़ से चिपक गए। उन सभी को खेजड़ी के साथ ही काट दिया गया था। जब महाराजा अभय सिंह तक यह बात पहुंची तो उन्होंने पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी। महाराजा ने बिश्नोई समाज को लिखित में वचन दिया कि ‘मारवाड़ में कभी खेजड़ी का पेड़ नहीं काटा जाएगा’। इस दिन की याद में खेजड़ली में हर साल शहीदी मेला लगता है। वन्य जीवों को बचाने में भी बिश्नोई समाज हमेशा आगे रहा है। हिरणों को बचाने के प्रयास में समाज के कई लोग शिकारियों की गोली का शिकार हो चुके हैं। खेजड़ी के पेड़ और बिश्नोई समाज से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… खेजड़ी का पेड़ बचाने के लिए कट गए थे 363-लोग:जोधपुर में 13 को शहीदी मेला; मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 8.62 करोड़ की बोली​​​​​​​ जोधपुर में पर्यावरण और खेजड़ी के पेड़ बचाने के लिए 294 साल पहले 363 लोगों ने जान दी थी। उनकी याद में जोधपुर जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर खेजड़ली गांव में 13 सितंबर को मेला भरेगा। आंदोलन की प्रणेता अमृता देवी सहित मारे गए 363 लोगों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पूरे देश से लोग पहुंचेंगे। मेले में महिलाएं सोने के जेवरातों से सज-धजकर पहुंचती हैं। (पढ़ें पूरी खबर)