सरकार जनवरी के तीसरे सप्ताह में विधानसभा सत्र (बजट सत्र) बुला सकती है। बजट पेश होने के चलते यह सत्र करीब एक महीने तक चल सकता है। इस सत्र से पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने तय किया है कि पार्टी के सभी विधायकों से बातचीत करेंगे। सदन में पहले भी कई बीजेपी विधायक अपनी ही सरकार को घेरते हुए नजर आए थे। वहीं, कई विधायक अपनी ही सरकार में काम नहीं होने के चलते निजी व सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जता चुके हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सीएम भजनलाल शर्मा विधायकों से संभागवार फीडबैक लेने जा रहे हैं। तीन दिन में सात संभागों के विधायकों से चर्चा
अगले तीन दिनों तक सीएम भजनलाल शर्मा सीएमआर में संभागवार सभी विधायकों से चर्चा करेंगे। चर्चा की शुरुआत शनिवार को कोटा संभाग के विधायकों से होगी। शनिवार को कैबिनेट बैठक होने के चलते केवल कोटा संभाग के विधायकों से चर्चा होगी। वहीं, रविवार को जोधपुर, उदयपुर और भरतपुर के विधायकों से चर्चा होगी। सोमवार को अजमेर, बीकानेर और जयपुर के विधायकों से बातचीत करेंगे। पहले भी कई विधायक जता चुके नाराजगी
पिछले विधानसभा सत्र में बांदीकुई विधायक भागचंद टाकड़ा ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया था। उन्होंने अपनी ही सरकार के वन विभाग पर वसूली करने के आरोप लगाए थे। उन्होंने विधानसभा में वन एवं पर्यावरण विभाग की अनुदान मांगों पर बोलते हुए कहा था कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में वनकर्मी चौथ वसूली कर रहे हैं। बजरी की ट्रैक्टर-ट्रॉली को मिट्टी की बताकर कम जुर्माना लगाया जाता है। वहीं, ट्रैक्टर मालिक से 50-50 हजार रुपए की रिश्वत ली जाती है। विधायक ने कहा था- जब मैंने इस चौथ वसूली का विरोध किया तो वन विभाग ने मेरे खिलाफ ही राजकार्य में बाधा डालने और मारपीट सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करवा दिया। मंत्रियों की कार्यशैली पर भी उठा चुके सवाल
लालसोट से बीजेपी विधायक रामबिलास मीणा अपनी ही सरकार के यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा की कार्यशैली से नाराज हो गए थे। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि वे सीएम से उनकी शिकायत करेंगे। मीणा ने सार्वजनिक रूप से मीडिया से बात करते हुए कहा था कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में जेईएन-एईएन के पद खाली पड़े हैं। चार बार मंत्री झाबर सिंह खर्रा से एक जेईएन लगवाने के लिए मिल चुका हूं। इनको कोई मतलब नहीं है। ऐसे तो हमारी सरकार में मंत्री बैठे हैं, जो सो रहे हैं।
