हाल ही में कुछ समय से बाघिन टी-84 ऐरोहेड का मूवमेंट रणथंभौर दुर्ग में बना हुआ है। पिछले दो- तीन माह में बाघिन में ऐरोहेड तीसरी बार रणथंभौर दुर्ग पहुंची। पिछले एक सप्ताह से बाघिन का मूवमेंट लगातार दुर्ग में बना रहा।
इस दौरान वन विभाग की ओर से दुर्ग में श्रद्धालुओं के प्रवेश को रोका गया था। जिसके बाद गणेश मंदिर ट्रस्ट की ओर से प्रशासन से श्रद्धालुओं के लिए दर्शन नियमित और सुचारू करवाने की मांग की गई और फिर से रणथंभौर दुर्ग में फिर से प्रवेश शुरू हुआ।
दैनिक भास्कर ने बाघिन के रणथंभौर दुर्ग में 1500 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर पहुंचने के कारणों की पड़ताल की, पेश है एक रिपोर्ट…. पौने 2 साल पहले पहली बार रणथंभौर दुर्ग में आए बाघिन और उसके शावक
22 फरवरी 2023 को बाघिन ऐरोहेड रणथंभौर दुर्ग में पहली बार आई थी। इस दौरान बाघिन दुर्ग में 32 खंभों की छतरी और हम्मीर के पार्क में चहल-कदमी करती हुई दिखाई दी थी। 23 फरवरी चतुर्थी होने के कारण श्रद्धालुओं के भारी संख्या में त्रिनेत्र गणेश मंदिर में पहुंचने की संभावना थी। जिसकी वजह वन विभाग में श्रद्धालुओं को प्रवेश से रोका गया। दूसरी बार दुर्ग में आई, शावक ने किया पर्यटक को घायल
इस साल 7 नवंबर को बाघिन ऐरोहेड अपने शावकों के साथ रणथम्भौर दुर्ग में पहुंची। बुधवार शाम करीब 4:30 बजे त्रिनेत्र गणेश मंदिर में दर्शन करने आए एक पर्यटक पर टाइगर ने अटैक कर दिया। टूरिस्ट घायल हो गया। उसके हाथ पर खरोंच आई है। टाइगर ने हमला रणथंभौर दुर्ग के नोलखा गेट के पास किया।
गनीमत रही कि पर्यटक पर टाइगर ने सिर्फ नाखून मारा। इससे उसकी शर्ट फट गई और हाथ में खरोंच आई। बाघिन यहां पर करीब एक से डेढ़ घंटे तक बैठी रही। लोगों ने वन विभाग की टीम को इसकी सूचना दी। डेढ़ घंटे बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और स्थानीय लोगों की मदद से पर्यटकों को यहां से बाहर निकाला गया। वन विभाग विभाग और स्थानीय लोगों ने दुर्ग से करीब 700 लोगों का रेस्क्यू किया। दिसंबर में तीसरी बार बाघिन और शावक रणथम्भौर दुर्ग पहुंचे
20 दिसंबर को बाघिन टी-84 ऐरोहेड व उसके शावक रणथम्भौर दुर्ग में आ पहुंची। यहां एक सप्ताह तक रणथंभौर दुर्ग में बाघिन व उसके शावकों का मूवमेंट बना रहा। जिसके चलते यहां श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश बंद किया गया है।
जिससे रणथंभौर त्रिनेत्र गणेश के जाने वाले श्रद्धालुओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक सप्ताह बाद फिर से रणथंभौर में प्रवेश शुरू किया गया। बाघिन और उसके शावक 1581 फीट की ऊंचाई पर पहुंचें
पहली बार बाघिन के रणथंभौर दुर्ग में पहुंचने की खबर सुनकर लोग चौंक गए थे। लोगों का चौंकने का कारण रणथंभौर दुर्ग की ऊंचाई थी। रणथंभौर दुर्ग रण और थंभौर 2 पहाड़ियों के बीच करीब 1581 फीट ऊंचाई पर स्थित है। इसी वजह से लोगों को हैरानी हुई थी। बाघिन के दुर्ग में पहुंचने के कारणों की दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। जिसमें यह कारण सामने आए… त्रिनेत्र गणेश मंदिर ट्रस्ट ने टूटी दीवार पर लगवाई जालियां
गणेश मंदिर ट्रस्ट की ओर से प्रशासन से श्रद्धालुओं के लिए दर्शन नियमित और सुचारू करवाने की मांग की थी। इसके बाद वन विभाग ने कई टीमें लगाकर बाघिन का मूवमेंट जंगल की ओर किया।
जिसके बाद त्रिनेत्र गणेश मंदिर ट्रस्ट के मुख्य महंत बृजकिशोर दाधीच और महंत संजय दाधीच के निर्देश पर प्रधान सेवक हिमांशु गौतम ने टूटी हुई दीवार पर जालियां लगाकर इस रास्ते को बंद किया गया है। जिससे श्रद्धालुओं को नियमित दर्शन हो सके। बाघिन एरोहेड को जूनियर मछली भी कहा जाता है
बाघिन ऐरोहेड, बाघिन कृष्णा (T-19) के दूसरे प्रसव की सन्तान है, जिसकी नानी मछली (T-16) थी, जो कि रणथंभौर की मां के नाम से प्रसिद्ध थी। बाघिन एरोहेड (मछली के राजवंश) से है। इसलिए बाघिन एरोहेड को जूनियर मछली भी कहा जाता है। एरोहेड के पहले लिटर (ब्यात) के 3 शावक जन्म के कुछ दिन बाद ही वन विभाग की नजरों से गायब हो गए थे।
इसके बाद दूसरे लिटर में बाघिन ने 2 शावकों को जन्म दिया था। इन्हें टी-124 यानी रिद्धि व टी-125 यानी सिद्धि के नाम से जाना जाता है। तीसरी बार के शावक भी कुछ दिन बाद लापता हो गए थे। जबकि चौथी बार के तीनों शावक बाघिन ऐरोहेड के साथ ही है।
