प्रतापगढ़ में अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती मनाई:स्टूडेंट्स के लिए चित्रकला और प्रश्नोत्तरी, जीवन से प्रेरणा लेने का आह्लान

प्रतापगढ़ में अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म शताब्दी के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बहुउद्देशीय आरोग्य सेवा समिति की छात्राओं ने चित्रकला प्रतियोगिता और प्रश्नोत्तरी में हिस्सा लिया। प्रशस्ति कुंवर राव ने अहिल्याबाई का चित्र बनाकर छात्राओं को राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह बनाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में सुनयना हापावत ने अहिल्याबाई के जीवन की महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं। अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को घौंडी गांव में सुशीला देवी की कोख से हुआ था। मल्हार राव होल्कर ने उनका विवाह अपने पुत्र पेशवा बाजीराव से करवाया। अहिल्याबाई के दो संतान थे – पुत्र मालेगांव और पुत्री मुक्ताबाई। शिव की परम भक्त अहिल्याबाई ने अपने जीवनकाल में 97 मंदिरों का निर्माण और जीर्णोद्धार करवाया। उन्होंने अपनी सेना में महिलाओं की भर्ती की। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महेश्वरी साड़ी बनाने का प्रशिक्षण भी दिलवाया। 30 वर्षों तक शासन करने के बाद 13 अगस्त 1795 को उनका निधन हो गया। प्रशस्ति कुंवर राव ने बताया कि जल्द ही प्रतापगढ़ में अहिल्याबाई होल्कर की शोभायात्रा निकाली जाएगी। पार्षद थमिश मोदी के सहयोग से यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।