पूर्व BJP प्रदेशाध्यक्ष के परिवार की सुसाइड की वजह…पांचवां सदस्य:एक बेटी ने हाथ पर मेहंदी से लिखी मौत, 5 महीने से मरने की प्लानिंग, पार्ट-2

राजस्थान क्राइम फाइल्स के पार्ट-1 में आपने पढ़ा कि किस तरह से सीकर के रहने वाले चार सदस्यों के परिवार हनुमान सैनी, उसकी पत्नी और दो बेटियों ने अपने घर में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। परिवार को जानने वाला हर कोई इस सुसाइड से हैरान था। इंवेस्टिगेशन में पुलिस को हनुमान की जेब से दो सुसाइड नोट मिले। इस सुसाइड नोट से परिवार की सामूहिक आत्महत्या की पूरी कहानी साफ हो गई। पढ़िए सुसाइड नोट में क्या लिखा था… मैं हनुमान प्रसाद सैनी, मेरी पत्नी तारा देवी व दो बेटियां पूजा व अन्नू अपने पूरे होश में यह लिख रहे हैं कि हमारे पुत्र अमर का स्वर्गवास दिनांक 27/9/20 को हो गया था। हमने उसके बिना जीने की काफी कोशिश की, लेकिन उसके बगैर जिया नहीं जाता। इसलिए हम चारों ने अपनी जीवन लीला समाप्त करने का फैसला किया है। अमर ही हम चारों की जिंदगी था। वही नहीं तो हम यहां क्या करेंगे? घर में किसी चीज की कमी नहीं है। जमीन है, घर है, दुकान है, नौकरी है। बस सबसे बड़ी कमी बेटे की है। उसके बिना सब बेकार है। हमारे घर में किसी का कोई कर्ज बाकी नहीं है। प्रशासन से निवेदन है किसी भी परिवारजनों को परेशान नहीं करें। यह हमारा अपना फैसला है। दूसरे नोट में लिखा : कबीर पंत की तरह अंतिम संस्कार नहीं करना सुरेश, हम सब का अंतिम संस्कार अपने परिवार की तरह करना। कबीर पंथ की तरह मत करना। सब अपने रीति-रिवाज से करना और अमर का कड़ा व उसके जन्म के बाल हमारे साथ गंगा में बहा देना। अमर की फोटो के पास सब सामान रखा है। सुरेश मेरे ऊपर किसी का कोई रुपया-पैसा बाकी नहीं है। (हनुमान ने दूसरा सुसाइड नोट अपने छोटे भाई सुरेश को लिखा था। इन दो सुसाइड नोट को पढ़ने के बाद ये बात साफ हो गई थी कि हनुमान और उसके पूरे परिवार ने बेटे के गम में आत्महत्या की थी।) 5 महीने पहले इकलौते बेटे की हार्ट अटैक से मौत
हनुमान सैनी के दो बेटियों के अलावा बेटा अमर भी था। अमर की उम्र 18 साल थी। परिवार की सामूहिक आत्महत्या से 5 महीने पहले अमर की मौत हो गई थी। अमर 27 सितंबर 2020 को अपने घर से सुबह खेलने जा रहा था। दौड़ते समय अमर को हार्ट अटैक आया और उसकी मौत हो गई। 5 महीने से पूरा परिवार अमर की मौत के गम में डूबा हुआ था। पत्नी और बेटी सबसे ज्यादा सदमे में
सुसाइड नोट सामने आने के बाद पुलिस ने करीबी रिश्तेदारों से भी बात की। इसमें सामने आया कि अमर की मौत के बाद से हनुमान की पत्नी और बेटी अन्नू सबसे ज्यादा सदमे में थे। हनुमान की पत्नी, बेटे के गम में बिस्तर पर ही लेटी रहती थी। हनुमान और दूसरी बेटी पूजा उन्हें संभालते। उनके लिए भी अमर की मौत को सहन कर पाना मुश्किल साबित हो रहा था। लाख कोशिशों के बाद भी परिवार के चारों सदस्य एक-दूसरे को संभाल नहीं पा रहे थे। बेटे की मौत के बाद कबीर पंथ से भी मोह भंग
हनुमान और उसका पूरा परिवार 20 साल से कबीर पंथ का अनुयायी था। बेटे अमर की मौत के बाद उनका कबीर पंथ से भी मोह भंग हो गया। हनुमान ने अपने सुसाइड नोट में भी अपने पूरे परिवार का अंतिम संस्कार परिवार के रीति- रिवाज के अनुसार ही करने की इच्छा जताई थी। परिवार के लोगों ने बताया कि अमर की मौत के बाद हनुमान और उसका परिवार सिर्फ लोहार्गल गए थे। 15 दिसंबर 2020 को कबीर पंथ के गुजरात के एक संत साहिबजी को बुलाया था। इसके बाद उनका मन बदल गया। सुसाइड से कुछ माह पहले ही उन्होंने कबीर पंथ छोड़ दिया था। आरसीसी का घर था, सुसाइड के लिए अलग से गार्टर लगाया
हनुमान का घर पक्का आरसीसी से बना हुआ था। कई दिन पहले से परिवार सुसाइड करने की प्लानिंग कर रहा था। उन्होंने एक साथ जहर खाने का भी प्लान बनाया था। फिर उन्हें लगा कि जहर खाने में बचने की संभावना रहेगी। परिवार के चारों सदस्यों ने तय किया कि वे फंदा लगाकर सुसाइड करेंगे। घर में फंदा लगाने के लिए केवल पंखा ही था। पंखे से फंदा लगाने पर वह टूट सकता था। ऐसे में हनुमान कुछ दिन पहले ही बाजार से लोहे का नया मजबूत गार्डर खरीदकर लाया। दीवार के दोनों तरफ बड़े छेद कराए और गार्डर को उनमें फिट कराया। हनुमान जब गार्डर लेकर आया तो उसके भाई-भतीजे को अटपटा भी लगा था। लेकिन कोई समझ ही नहीं सका था कि उसके मन में क्या चल रहा है। गार्डर के अलावा हनुमान सुसाइड करने के लिए नई रस्सी भी लेकर आया था। गार्डर के बारे में भतीजे ने पूछा तो कहा था- इस पर 4 घंटियां लटकाएंगे
बेटे की मौत के बाद से हनुमान चुपचाप रहता था। आस-पड़ोस के लोग हनुमान को देखकर बात करने की कोशिश भी करते थे। हनुमान उनको अच्छा हूं, नौकरी पर जा रहा हूं, ऐसे जवाब देकर चुपचाप निकल जाता था। जब हनुमान गार्डर लेकर आया तो भी किसी को पता नहीं लगा। गार्डर कमरे में फिट कराने के बाद छोटे भाई के लड़के की नजर उस पर पड़ी। उसने पूछा– चाचा ये गार्डर क्यों लगवाया है। तब हनुमान ने कहा कि इस पर चार घंटियां लटकाएंगे। उस समय चाचा की बात को भतीजा भांप नहीं पाया। एक साथ लगाया फंदा, ताकि पीछे कोई कमजोर न पड़े
हनुमान, उसकी पत्नी और दोनों बेटियों ने बेटे के गम में साथ में सुसाइड करने का फैसला किया था। फैसला इतना गंभीर था कि परिवार का कोई भी सदस्य कमजोर पड़ सकता था। ऐसे में सभी ने लोहे के गार्डर में साथ में फंदा लगाया और एक ही पलंग पर सभी साथ खड़े हुए। पुलिस ने सुसाइड के बाद घर की जांच व लोगों से जानकारी जुटाई थी। पड़ोसियों ने बताया कि घटना वाले दिन की सुबह हनुमान का पूरा परिवार आम दिनों की तरह ही उठा था। सभी ने अपनी दैनिक काम किए था। दोपहर में सभी ने साथ में खाना खाया था। पुलिस को रसोई में जूठे बर्तन मिले और बना हुआ खाना भी मिला था। 16 फरवरी को भांजियों की शादी में नहीं गए थे
हनुमान प्रसाद की बहन मंजू का ससुराल नवलगढ़ में है। मंजू की 2 बेटियों की शादी 16 फरवरी को थी। हनुमान इस शादी में भी नहीं गए थे। हनुमान और उनका परिवार बेटे अमर की मौत के बाद कहीं भी आता-जाता नहीं था। उनकी दादी पूर्व राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी की मां का देहांत हो गया था। उस वक्त सभी गए थे। स्कूल का स्टाफ बोला- बहुत हिम्मत वाला था हनुमान
हनुमान के स्कूल स्टाफ से पुलिस ने जानकारी ली तो बताया कि हनुमान काफी मजबूत व हिम्मत वाला आदमी था। घटना के एक दिन पहले उसने अपनी ड्यूटी पूरी की थी। सभी से आराम से बात कर रहा था। लग नहीं रहा था कि हनुमान और उसका पूरा परिवार एक साथ सुसाइड कर लेगा। पुलिस का कहना था कि हनुमान का पूरा परिवार काफी समय से सुसाइड प्लान कर रहा था। अगर सुसाइड अचानक तनाव में आकर किया जाता तो सभी लोग पंखे से लटकते या घर में चुन्नी या अन्य चीजों से फंदा लगाते। इसके अलावा आवेश में सुसाइड करते तो सभी सदस्य इसमें शामिल नहीं होते। हनुमान के भाई महावीर सैनी ने बताया कि परिवार के लिए हादसा बहुत दर्दनाक था। इस हादसे से उबर पाना मुश्किल था। हमारा पूरा परिवार एक झटके में टूट गया था। पांच साल गुजरने के बाद इस हादसे को जब भी याद करते हैं, तो पूरा परिवार दुखी हो जाता है। फंदे पर लटका मिला था पूर्व BJP प्रदेशाध्यक्ष का परिवार:भतीजे ने पत्नी-दो बेटियों के साथ किया सुसाइड, पुलिस हैरान- कर्ज या काला जादू? पार्ट-1