बॉर्डर पर प्रतिबंधित इलाके में राष्ट्रीय सुरक्षा को तार-तार कर बाहरी लोगों को जमीन खरीद फरोख्त की अनुमति दी गई। रामसर एसडीएम अनिल जैन के पास मार्च से अक्टूबर अंत तक गडरा रोड एसडीएम का अतिरिक्त चार्ज था। इस दौरान प्रतिबंधित क्षेत्र में जमीन की खरीद फरोख्त के लिए 195 बाहरी लोगों को अनुमति दी गई। 38 जनों को थाने से वेरिफिकेशन करवाए बिना ही आने दिया। जबकि अनुमति से पहले एसडीएम को थाने से आवेदक का वेरिफिकेशन जरूरी है। इन सब के बाद भी एसडीएम के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई नहीं की है। 14 दिसंबर को भास्कर ने ‘एसडीएम ने परिवार के नाम से बॉर्डर के पास प्रतिबंधित क्षेत्र में 2350 बीघा जमीन बेच दी’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर बॉर्डर के पास जमीन घोटाले का पर्दाफाश किया था। इसका खुलासा होने के बाद 14 व 15 दिसंबर को पीएमओ, सीएमओ से लेकर राजस्व विभाग और खुफिया एजेंसियों ने बाड़मेर कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट भेजने के बारह दिन बाद भी सरकार एसडीएम पर मेहरबान है। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की है। कलेक्टर टीना डाबी ने बताया कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पीएमओ व सीएमओ को भेजी दी गई। इसमें उच्च स्तर से पूर मामले की जांच करवाने की सिफारिश की गई है। रामसर में अवाप्त भूमि का मुआवजा पंचायत खाते में बाड़मेर-रामसर-गडरा रोड नेशनल हाइवे 25 ई का निर्माण करने के लिए रामसर गांव में जमीन अवाप्त की गई थी। रामसर गांव में खसरा संख्या 199 पर 20 से ज्यादा लोगों के मकान व दुकानें बनी थी। जमीन अवाप्ति अधिकारी रामसर एसडीएम ने सर्वे में इसे खाली जमीन बताया। इसकी मुआवजा राशि 4.15 करोड़ रुपए ग्राम पंचायत रामसर के खाते में ट्रांसफर करवा दिए गए। पीड़ितों ने आपति जताई तो एसडीएम ने अनदेखा कर लिया। इस मुआवजा राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों ने गत 8 अक्टूबर को बाड़मेर कलेक्टर से इसकी शिकायत की। कलेक्टर ने जिला परिषद सीईओ को 15 दिन में जांच रिपोर्ट देने को कहा। लेकिन अभी तक ग्रामीणों को मुआवजा नहीं मिला तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी।
