21 साल के हर्ष गुप्ता ने पहले प्रयास में सीए फाइनल के दोनों ग्रुप पास किए हैं। हर्ष को 600 मेंसे 406 अंक मिले है। हर्ष के पिता मुकेश गुप्ता अखबार बांटते है। मां हेमलता गृहणी है। हर्ष से बड़ी दो बहन है। हर्ष का रिजल्ट आते ही परिवार खुशियों से झूम उठा। पिता मुकेश गुप्ता ने बेटे को गले लगा लिया। खुशी की मारे उनकी आँखें भर गई। वो बेटे को गले लगाकर रोने लगे। एमबीए करना चाहता था, सीए बना
हर्षित का चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना शुरू से ही सपना नहीं था। वो क्रिकेटर बनना चाहता था। उसने कोटा से तीन बार राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में प्रतिनिधित्व भी किया। लेकिन किस्मत उसे अपने आप इस मंजिल की तरफ ले गई। पढ़ाई के दौरान अकाउंट्स के टीचर पीयूष व मामा के बेटे ने सीए करने के लिए मोटिवेट किया। हालांकि हर्ष का रुझान एमबीए की तरफ था। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्हें सीए की पढ़ाई करने का फैसला लिया।
पढ़ाई के दौरान कृष्ण के भजन सुने
हर्ष ने बताया कि एग्जाम तैयारी के दौरान महीने तक रोज 11 घंटे पढ़ाई की।पढ़ाई के दौरान खासतौर पर कृष्ण के भजन सुनते थे। 1 साल तक सोशल मीडिया अकाउंट बंद रखे। मनोरंजन के लिए मूवी देखी। जिसको पूरा देखने 2 से 3 दिन लग जाते थे। सेहत ठीक रहे इसलिए 4-5 महीने तक बाहर खाना भी नहीं खाया।
पिता की मेहनत देख,मंजिल हासिल की
पिता रोज सुबह 3 बजे उठकर अखबार बांटने जाते थे, ये लम्हा हर्ष को प्रोत्साहित करता था। पढ़ाई करते वक्त थकावट महसूस होने, पढ़ाई में मन नही लगने पर एक मंत्र बोलता था, ‘तू कर सकता है, तुझे करना होगा’।
