जयपुर की फैमिली कोर्ट-2 ने बेटी की शादी में खर्च हुए 15 लाख रुपए दिलाने की महिला की एप्लिकेशन को खारिज कर दिया है। जयपुर में रहने वाली महिला ने अपने पति से यह खर्चा दिलाने की मांग की थी। फैमिली कोर्ट की जज तसनीम खान ने यह कहते हुए महिला के प्रार्थना-पत्र को खारिज कर दिया कि बेटी बालिग है। वह स्वयं अपनी शादी का खर्चा मांगने के लिए सक्षम है। एक मां अपनी बालिग बेटी के भरण पोषण का खर्चा पाने की हकदार नहीं है। मामले में जुड़े वकील डीएस शेखावत ने बताया- महिला ने कोर्ट में प्रार्थना-पत्र लगाकर कहा था कि उसका विवाह 1991 में जयपुर के रहने वाले युवक से हुआ था। साल 1994 में उन्हें एक बेटी हुई। कुछ सालों बाद पति ने तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की। इस पर साल 2019 में उनका तलाक हो गया। इसी बीच उसने रिश्तेदारों से उधार लेकर 25 नवंबर 2013 को अपनी बेटी की शादी की। उसने शादी के खर्चे के लिए पति से भी पैसे मांगे थे। पति ने देने से इनकार कर दिया था। अब रिश्तेदार उधार के पैसे वापस देने का दवाब बना रहे हैं। ऐसे में कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर करके कहा- पति से शादी में खर्च हुए 15 लाख रुपए दिलवाए जाएं। खर्चे का कोई दस्तावेज पेश नहीं किया
कोर्ट ने आदेश में कहा- महिला ने साल 2013 में हुई बेटी की शादी का खर्च दिलाने के लिए करीब चार साल बाद 25 नवंबर 2017 को प्रार्थना पत्र पेश किया। वहीं, महिला ने शादी में खर्चे का कोई दस्तावेज भी पेश नहीं किया। कोर्ट ने कहा- एक बालिग बेटी अपनी शादी का खर्चा अपने पिता से मांगने की हकदार है। उसे शादी से पहले ही कोर्ट में भरण-पोषण का प्रार्थना पत्र लगाना होता है। यहां बेटी की जगह मां ने प्रार्थना पत्र पेश किया, वो भी शादी के चार साल बाद। ऐसे में महिला का प्रार्थना पत्र खारिज किया जाता है। ये भी पढ़ें ‘पत्नी का एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर तो गुजारा भत्ते की हकदार नहीं’:तलाक के एक केस में कोर्ट का फैसला, सरकारी कर्मचारी पति से मांगे थे 40 लाख महिला का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर (शादी के बाद गैर पुरुष से संबंध) है तो वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है। एक केस में जयपुर की फैमिली कोर्ट-1 ने यह फैसला सुनाया। तलाक से जुड़े मामले में कोर्ट ने पत्नी के स्थायी गुजारा भत्ता की याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि महिला का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर था। (पूरी खबर पढ़ें)
