कला की दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले 19 कलाकारों की एक अनूठी एग्जीबिशन “इन डिफेंस ऑफ शैडोज” जयपुर में शुरू हो चुकी है। जौहरी बाजार स्थित राउंड द ओरेंज गैलेरी में यह एग्जीबिशन पहचान की अस्थिरता और छायाओं के माध्यम से व्यक्तित्व के जटिल पहलुओं को उजागर करती है। इनमें प्रदर्शित कलाकृतियां बोरिस ग्रॉयस के “द लॉजिक ऑफ द कलेक्शन” से प्रभावित होकर यह सवाल उठाती है कि क्या हम अपनी पहचान को परिभाषित करते हैं या दूसरों के दृष्टिकोण द्वारा हमारी पहचान बनाई जाती है। शो के क्यूरेटर अनुभव ने बताया कि यह एग्जीबिशन छायाओं की अदृश्यता, अस्पष्टता और रूप की असमर्थता का एक महत्वपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जिसमें कलाकार अपनी कहानियों के कुछ हिस्सों को छुपा कर, एकतरफा आख्यानों को अस्वीकार करते हैं। “इन डिफेंस ऑफ शैडोज” के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि पहचान न केवल बाहरी दृष्टिकोणों द्वारा, बल्कि आंतरिक रूप से निर्धारित सीमाओं द्वारा भी आकारित होती है। इस प्रदर्शनी में भाग लेने वाले कलाकार अपनी स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए, पहचान के विविध और जटिल स्वरूपों को एक नया आयाम प्रदान कर रहे हैं। कई दशक से चित्रकारी कर रहे आर्टिस्ट मुकेश शर्मा ने बताया कि मेरे काम में सामग्री के साथ प्रयोग और नई संभावनाओं की खोज महत्वपूर्ण है। मैं पारंपरिक और आधुनिक सामग्रियों को मिलाकर नई संभावनाएं तलाशता हूं, जैसे हस्तनिर्मित कागज, सोने की पत्ती, पुनर्नवीनीकरण वस्तुएं और डिजिटल तत्व। इन सामग्रियों को रचनात्मक तरीकों से उपयोग करते हुए मैं परतदार और जटिल रचनाएं बनाता हूं जो दर्शकों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करती हैं। मेरा काम सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरणीय चिंताओं के बीच एक पुल का काम करता है। मैं उन कहानियों को उजागर करता हूं जो परंपराओं, आधुनिकीकरण, और पारिस्थितिक चुनौतियों के बीच छिपी होती हैं। मेरे काम में यह तनाव और सौंदर्य दोनों का प्रदर्शन होता है, जहाँ व्यक्तिगत और सामाजिक दृष्टिकोण आपस में जुड़ते हैं। मुकेश ने कहा कि मेरी कला हाइब्रिड सौंदर्यशास्त्र का उपयोग करती है, जिसमें पारंपरिक और समकालीन शैलियों का संगम होता है। मैं मुगल मिनिएचर कला, आधुनिक कोलाज, और औद्योगिक सामग्रियों को मिलाकर एक ऐसा दृश्य भाषा विकसित करता हूं, जो स्थानीय और वैश्विक संदर्भों को जोड़ता है।
