अब शहर के व्यापारी ठगों के निशाने पर आ गए हैं। 10 दिन के अंदर करीब 25 से ज्यादा व्यापारियों को ठगों ने फोन कर ठगने की कोशिश की है। इतना ही नहीं कुछ व्यापारियों के साथ लाखों रुपए की ठगी भी हो गई है। सामने आया है कि ठगों ने नगर निगम कर्मचारी बनकर एक आढ़तिया से 95 हजार रुपए भी ठग लिए। इस वारदात ने शहर के व्यापारियों को सतर्क कर दिया है और पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है।
ठगी की यह वारदात शहर की अटल बंध मंडी के बंसल बूरा उद्योग के संचालक परिवेश बंसल के साथ हुई। गुरुवार सुबह उन्हें एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को ओमप्रकाश गुप्ता बताया और कहा कि वह नगर निगम से बोल रहा है। उसने बताया कि नगर निगम की ओर से अतिक्रमण हटाने के दौरान जब्त किए गए 65 रिफाइंड तेल के पीपे बेहद कम कीमत पर बेचे जा रहे हैं। लाभ के लालच में फंसकर परिवेश ने 95 हजार रुपए नकद लेकर अपने दोस्त यश कुमार के साथ नगर निगम का रुख किया। नगर निगम के गेट पर पहुंचने के बाद ठग ने उसे अकेले आने को कहा। परिवेश ने दोस्त को गेट पर बाइक के पास छोड़ा और कथित ओमप्रकाश गुप्ता से मिलने चला गया। ठग ने पीपे दिखाने के बजाय तुरंत रसीद कटवाने की बात कही। इस पर परिवेश को भरोसा हो गया और उसने पैसे दे दिए। पैसे लेने के बाद ठग रसीद लाने के बहाने कार्यालय के अंदर चला गया। जब काफी देर तक वह वापस नहीं आया और उसका फोन भी स्विच ऑफ मिला, तब परिवेश को ठगी का अहसास हुआ। ठगी की घटना के बाद शिवा टॉकीज के निकट निवासी परिवेश ने अपने पिता मनोहर बंसल को इस बारे में बताया। पिता-पुत्र ने तुरंत मथुरा गेट थाने पहुंचकर अज्ञात ठग के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पत्रिका की खबरों के कारण बचे दो व्यापारी
इसी तरह के कॉल अन्य आढ़तियों के पास भी आए थे। हालांकि, वे सतर्क रहे और ठगी का शिकार होने से बच गए। बदनामी के डर से नाम नहीं छापने की शर्त पर दो व्यापारियों ने बताया कि राजस्थान पत्रिका में साइबर ठगी की प्रकाशित हो रही खबरें पढऩे के कारण वे बच गए। क्योंकि लगातार राजस्थान पत्रिका में साइबर ठगी के खिलाफ जो अभियान चलाया जा रहा है, उसकी खबरें प्रकाशित हो रही हैं। व्यापारियों ने बताया कि राजस्थान पत्रिका पढऩे के कारण वे बच गए।
साइबर एक्सपर्टत्न लालच में न फंसे, सतर्क रहें
इस संबंध में साइबर एक्सपर्ट रामवीर सिंह ने बताया कि यह घटना व्यापारियों के लिए एक सबक है कि किसी अनजान व्यक्ति की बातों में आकर जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। खासकर, जब ऐसी लाभ की पेशकश सरकारी कार्यालयों या कर्मचारियों से संबंधित हो तो पहले उसकी सत्यता की जांच करें। किसी भी अज्ञात कॉल पर बिना पुष्टि किए धन का लेन-देन न करें। संदिग्ध कॉल्स की तुरंत सूचना पुलिस को दें। सरकारी कामों में सीधे संपर्क के बजाय आधिकारिक प्रक्रिया का पालन करें।
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