जैसलमेर के गोडावण ब्रीडिंग सेंटर से खुशखबरी आने का सिलसिला लगातार जारी है। एक बार फिर लुप्त हो रहे पक्षी के संरक्षण के प्रयासों को सफलता मिली है। जैसलमेर स्थित सम के सुदासरी ब्रीडिंग सेंटर में एक नन्हे गोडावण ने जन्म लिया है। डेजर्ट नेशनल पार्क के DFO बृजमोहन गुप्ता ने बताया कि साल 2025 में लगातार खुशखबरी मिल रही है। 12 अप्रैल को एक और गोडावण के अंडे के नन्हे मेहमान ने जन्म लिया है। विशेषज्ञों की देखरेख में पैदा हुआ इस साल का ये नौवां गोडावण है। इससे हम लुप्त हो रहे पक्षी को बचाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। कोरोना नामक मादा के अंडे से निकला चूजा
DFO बृजमोहन गुप्ता ने बताया – सुदासरी स्थित गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में कोरोना नामक मादा और लियो नामक नर गोडावण की मेटिंग के बाद 12 मार्च को कोरोना ने एक अंडा दिया। इस अंडे को विशेषज्ञों की देखरेख में रखा गया और 12 अप्रैल को इस अंडे से गोडावण का चूजा बाहर आया। फिलहाल ये चूजा विशेषज्ञों की देखरेख में बड़ा हो रहा है। गोडावण की संख्या में हो रहा इजाफा
प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत अब गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में संख्या बढ़कर 53 हो चुकी है, जो किए जा रहे प्रयासों में एक सुखद संकेत है। DFO बृजमोहन गुप्ता ने बताया- साल 2018 में केंद्र सरकार, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (देहरादून) और राज्य सरकार ने मिलकर प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत काम शुरू किया था। जब यह परियोजना शुरू हुई थी, तब इसकी सफलता को लेकर संदेह था। लेकिन पिछले सात सालों में सकारात्मक प्रयासों के माध्यम से इस प्रोजेक्ट ने सफलता की ओर मजबूत कदम बढ़ाए हैं। वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत जिस तेजी से सफलता मिल रही है, वह दिन दूर नहीं जब हमें खुले में गोडावण देखने को मिलेंगे। भविष्य में गोडावण प्रजाति के फिर से बढ़ने की उम्मीद बंध गई है। यह खबर भी पढ़े…
जैसलमेर में AI तकनीक से पैदा हुआ गोडावण:ऐसा करने वाला भारत पहला देश, अब कुनबा बढ़कर पहुंचा 52 जैसलमेर के सुदासरी गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (एआई) या कृत्रिम गर्भाधान से शुक्रवार को गोडावण के बच्चा पैदा हुआ। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। गौरतलब है कि इससे 6 महीने पहले भी इसी प्रक्रिया को अपनाकर एक गोडावण का जन्म हुआ था। अब एक और गोडावण के AI तकनीक के द्वारा कृतिम गर्भाधान से गोडावण का जन्म करवाकर लुप्त होने जा रही इस दुर्लभ प्रजाति को बचाया जा सकेगा। (पढ़ें पूरी खबर)
