देश में पराठे का नाम आता है तो दिल्ली की मशहूर पराठों वाली गली, हरियाणा में मुरथल के पराठे और आगरा के रामबाबू के पराठे का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन बात गुलाबी नगरी के मशहूर पराठे की हो तो स्वाद में रूप-बसंत ढाबे के जंगली और दरबारी पराठे का कोई मुकाबला नहीं। आज से 59 साल पहले रेलवे की नौकरी छोड़ एक शख्स ने ढाबे की शुरुआत की थी। आज यहां 40 वैरायटी के पराठे खाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। कई सेलिब्रिटी भी यहां के पराठों का स्वाद चख चुके हैं। आज राजस्थानी जायका में गुलाबी सर्दी के बीच आपको लेकर चलते हैं गुलाबी नगरी के मशहूर पराठों के ठिकाने पर रेलवे की नौकरी छोड़ दादा ने खोला ढाबा जयपुर में रूप-बसंत नाम के दो ढाबे हैं। एक जयपुर रेलवे जंक्शन के ठीक बिलकुल सामने और दूसरा प्रतापनगर में। ओनर योगेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि उनके दादा बने सिंह चौहान झालावाड़ में रेलवे में नौकरी करते थे। परदादा के निधन के बाद वे पूरा परिवार लेकर जयपुर चले आए। उनके मित्र ने पार्टनरशिप में कोई व्यापार करने की इच्छा जताई। दो दोस्तों ने मिल कर 1962 में जयपुर रेलवे स्टेशन के बाहर चाय-नाश्ते की छोटी सी दुकान खोली। दुकान ठीक-ठाक चल रही थी कि 1964 में दादा के दोस्त की मृत्यु हो गई। ऐसे में दादा ने पार्टनरशिप का काम छोड़ 1965 में अलग ढाबा खोला। जिसका नाम उन्होंने अपने दोनों बेटों के नाम पर रखा ‘रूप-बसंत ढाबा’। उन्होंने देखा कि यात्रियों के पास के पास वक्त की कमी होती थी। ऐसे में उनके लिए इंस्टेंट नाश्ता चाहिए था। ऐसे में उन्होंने सबसे पहले आलू और प्याज के पराठे बनाकर बेचना शुरू किया। योगेंद्र ने बताया उन उस दौर में रेलवे स्टेशन के पास मिठाइयों की ही दुकान हुआ करती थी। लेकिन जब दादा ने पराठे बनाने शुरू किए तो लोग उसकी खुशबू से ही खिंचे चले आते थे। आस-पास के बड़े होटल के शेफ भी पराठों का जायका लेने पहुंचा करते थे। धीरे-धीरे दादा बने सिंह चौहान ने मसलों के साथ नए-नए प्रयोग कर अलग-अलग वैरायटी के पराठे बनाने शुरू किए। जब पनीर का का प्रचलन बढ़ा और पनीर पराठे के साथ-साथ गोभी, गाजर, मटर, मिक्स वेज पराठे के साथ कई तरह की पराठों का सिलसिला शुरू हो गया। बने सिंह के हाथों से बने पराठों का स्वाद लोगों की जुबां पर चढ़ गया। राजस्थानी फिल्म की शूटिंग के दौरान कई कलाकारों को दादा और पिता ने अपने हाथ का पराठा खिलाया। इनमें एक्टर जगदीप और राजस्थानी एक्ट्रेस नीलू शामिल हैं। 1975 में शेफ ने दिया तंदूरी पराठे बनाने का आइडिया योगेन्द्र सिंह चौहान बताया पहले ढाबे पर तवे पर पराठा सेकने का ट्रेंड था। तब जयपुर के नामी होटल के शेफ भी हमारे ढाबे पर पराठा खाने पहुंचते थे। लेकिन पराठों पर तेल-घी का अधिक होना उन्हें पसंद नहीं आता था। लोग हाइजीन पर भी ध्यान देना शुरू कर चुके थे। स्टेशन पर ढाबा होने के कारण हर कोई पराठों की डिमांड करता था। डिमांड इतनी होने लगी कि हम ऑर्डर पूरे नहीं कर पाते थे। एक बार नामी होटल का शेफ हमारे ढाबे पर पहुंचा। उस शेफ ने आइडिया दिया कि पराठों को तवे पर सेकने में ज्यादा वक्त लगता है साथ ही तेल-घी भी ज्यादा लगता है, जो सेहत के लिए ठीक नहीं है। पराठे तंदूर में बनाने चाहिए। शेफ ने खुद तंदूरी पराठा बनाने का तरीका सिखाया। पहली बार आलू और प्याज का तंदूरी पराठे का जब लोगों ने स्वाद चखा तो सब मुरीद हो गए। तब से हमने सभी वैरायटी को तंदूर पर शिफ्ट कर दिया। आगे बढ़ने से पहले देते चलिए आसान से सवाल का जवाब दादा के बाद पोते ने तैयार किए जंगली और दरबारी पराठा योगेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि मुझे पराठों का स्वाद तो पसंद रहा, लेकिन इस काम में मेरी रुचि नहीं थी। वर्ष 1994 में अचानक दादा और पिता रूप सिंह के दुनिया से एक साथ चले जाने से परिवार को बड़ा झटका लगा। उनके जाने के बाद मेरे चाचा ने जिम्मा उठाया। मैं आईटी की पढाई कर अलग करियर बनाना चाहता था। दो साल आईटी के क्षेत्र में नौकरी की अच्छे पैसे भी कमाए। लेकिन कोरोना काल में नौकरी छोड़ पराठों के बिजनेस में ही आ गया। फूड लवर्स को नए सिरे से आकर्षित करने के लिए मैंने जंगली और दरबारी पराठे की शुरुआत की। जब नए जायके की बात आई तो बचपन से जुड़ी याद को मैंने नए तरीके से प्रयोग किया। मसालों के साथ थोड़ा ट्विस्ट कर ड्राई फ्रूट और मावा से दरबारी और हरी सब्जियों के मिश्रण से जंगली पराठे का कॉन्सेप्ट तैयार किया। आज 40 वैरायटी के पराठे रूप-बसंत ढाबे की शान हैं। हमारे रेलवे स्टेशन स्थित आउटलेट पर रोजाना 5 से 6 हजार पराठों की बिक्री होती है। वहीं, दोनों आउटलेट पर 300 से 400 जंगली और दरबारी पराठों की बिक्री होती है। क्या है ये जंगली पराठा?: ढाबे के शेफ विक्रम सिंह चौहान ने बताया कि जैसा की नाम से पता चलता है जंगली यानी कि जंगल से कुछ मिलता जुलता। ये एक तरह का हरा-भरा पराठा है जिसकी स्टफिंग जंगल की तरह हरी भरी दिखाई देती है। क्योंकि इस पराठे में ढेर सारी हरि सब्जियों (पत्ता गोभी, फूल गोभी, गाजर, ब्रोकली, गाजर, बींस) का समावेश रहता है। क्या है ये दरबारी पराठा : दरबारी पराठा एक प्रकार का ड्राई फ्रूट पराठा होता है। ये मुख्य रूप से गेहू का आटा, मैदे और सूजी के मिश्रण से तैयार होता है। स्वाद खट्टा मीठा होने के साथ नमकीन भी रहता है। इसकी स्टफिंग में पनीर, चीज, नारियल का बुरादा, बारीक कटे ड्राई फ्रूट (अखरोट, काजू, किशमिश और पिस्ता) और इलायची पाउडर का इस्तेमाल होता है। घर पर तैयार होते हैं पराठे के मसाले दादा ने पिता को हाथ के स्वाद और संयुक्त परिवार की महत्ता को समझाया था कि अगर परिवार एक साथ मिलकर सहमति और प्यार के साथ किसी काम को आगे बढाए तो उसमें उन्नति मिलती है। इसलिए आज भी पराठों में इस्तेमाल होने वाले सभी मसाले हमारे घर की महिलाएं ही पीसकर तैयार करती हैं। पिछले राजस्थानी जायका में पूछे गए प्रश्न का सही उत्तर ये है जयपुर का प्रसिद्ध 32 इंच का पराठा। ज्यादातर रीडर्स ने बिलकुल सही जवाब दिया है। दावा किया जाता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा पराठा है। इसकी शुरुआत पराठा जंक्शन के सुरेंद्र शर्मा ने की थी। (CLICK कर पूरा पढ़ें)
