किसानों को झटका : सरकार बाजरे की खरीद एमएसपी पर नहीं करेगी

प्रदेश के किसानों से समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद का सरकार का इरादा नहीं है। कांग्रेस सरकार की तर्ज पर मौजूदा सरकार ने स्पष्ट किया है कि सरकारी योजनाओं में बाजरे की डिमांड ही नहीं है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भी मांग नहीं आई है। ऐसे में सरकार समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीद भी लेती है तो खपाने का रास्ता नहीं है। यही नहीं, इससे सरकार पर वित्तीय भार भी बढ़ेगा। राज्य सरकार ने पिछले बजट सत्र में पूछे गए दो विधायकों रितु बनावत एवं हरलाल सहारण के सवालों के जवाब में यह जानकारी दी है। राज्य सरकार ने कहा है कि हर साल 40 से 45 लाख मैट्रिक टन बाजरे की उपज राजस्थान में होती है, जो देश का करीब 42 प्रतिशत है। वर्ष 2023-24 में 43.82 लाख मैट्रिक टन और वर्ष 2022-23 में 59.18 लाख मैट्रिक टन बाजरे का उत्पादन हुआ था। इसके चलते सरकार ने बाजरे की खरीद के लिए सकारात्मक रुख दिखाया था। लेकिन, अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल तो बाजरे की खरीद संभव नहीं है। बाजरा श्री अन्न योजना में बाजरा उत्पादन में राजस्थान देश में सबसे आगे है। बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, सीकर, चूरू एवं झुंझुनूं में बाजरे का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। केंद्र सरकार ने इस बार बाजरे का एमएसपी 2625 रुपए प्रति क्विंटल तय किया था। कांग्रेस जैसा भाजपा का तर्क…योजनाओं में डिमांड नगण्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने कहा है कि पिछली सरकार ने बाजरे की खरीद नहीं की थी। तत्कालीन सरकार ने इसके चार बड़े कारण गिनाए थे, इसमें सरकारी स्तर पर खरीदे गए बाजरे की डिमांड आमजन में कम रहना। बाजरे की सीमित सेल्फ लाइफ होना। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भी बाजरा वितरण की डिमांड नहीं आना और सरकार पर वित्तीय भार पड़ना बताया था। मौजूदा सरकार ने समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीद नहीं करने की एक ही वजह बताई है कि जन कल्याणकारी योजनाओं में मोटे अनाज की मांग नगण्य है। ऐसे में सरकार के तर्क से साफ है कि किसानों को राहत नहीं मिलने वाली है।