कांग्रेस ने जलाया ज्ञानदेव आहूजा का पुतला:टीकाराम जूली के राम मंदिर जाने पर पूर्व विधायक ने दिया था विवादित बयान

बीजेपी के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा की ओर से टीकाराम जूली के राम मंदिर जाने के बाद दिए गए विवादित बयान पर प्रदेश के साथ साथ जैसलमेर में भी हुआ। मंगलवार को हनुमान सर्किल पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष उम्मेद सिंह तंवर के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कांग्रेसी पहुंचे। जहां पर पूर्व विधायक व बीजेपी के वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा का पुतला बनाकर जलाया गया। इस दौरान आहूजा के खिलाफ नारेबाजी भी की गई। सभी ने एक स्वर में ज्ञानदेव आहूजा के बयान का कड़ा विरोध किया। हनुमान सर्किल पर ज्ञानदेव आहूजा का पुतला जलाया गया। कांग्रेस जिलाध्यक्ष उम्मेद सिंह तंवर ने बताया- इसके पीछे उनकी ओछी मानसिकता है। भारतीय जनता पार्टी और उनके नेताओं कि ये विकृत मानसिकता का परिचय है। सबको समानता का अधिकार है और बीजेपी को इस भेदभाव और ऊंच नीच की राजनीति को बंद करना चाहिए। गौरतलब है कि अपनाघर शालीमार में रामनवमी के दिन राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। इस कार्यक्रम में कांग्रेस नेता टीकाराम जूली सहित काफी लोग पहुंचे थे। इसके बाद पूर्व विधायक आहूजा ने कहा था कि कांग्रेसियों के मंदिर आने से मंदिर अपवित्र हो गया। अगले दिन गंगाजल ले जाकर मंदिर में छिड़ककर शुद्धिकरण की बात कही थी। इसके बाद पूरे प्रदेश में बड़ा विरोध जारी है। वीडियो जारी कर दी सफाई अलवर जिले में स्थित राम मंदिर में गंगाजल छिड़ककर शुद्धिकरण करने वाले भाजपा नेता ज्ञानदेव आहूजा ने विवाद के बाद यूटर्न ले लिया है। उन्होंने अपना वीडियो जारी करते हुए कहा है, ‘मैंने किसी भी दलित का अपमान नहीं किया। मैं तो दलितों का पक्का समर्थक हूं। मैंने जितना दलितों का सहयोग किया है, शायद ही किसी और नेता ने इतना किया होगा। मेरा बयान सिर्फ कांग्रेस की मानसिकता को लेकर था। टीकाराम जूली प्रतिपक्ष के नेता हैं, लेकिन वह अपने आप को दलित नेता के रूप तक ही सीमित रखना चाहते हैं। जबकि मेरा यहां किसी भी दलित को लेकर कोई बयान नहीं था। इस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को भी आना था।’ क्या है गंगाजल विवाद मामला दरअसल, रामनवमी के दिन अलवर की एक आवासीय सोसायटी में बने राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन हुआ था। इसमें नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी शामिल हुए थे। अगले दिन ज्ञानदेव आहूजा ने कहा, ‘प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम बहुत बड़ा हुआ, लेकिन उसमें थोड़ी विसंगति रह गई। उन लोगों को भी बुलाया गया, जिन लोगों ने भगवान श्रीराम के अस्तित्व को चुनौती दी। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भगवान श्रीराम को काल्पनिक बताते हुए न्यायालय में हलफनामा दाखिल करवाया था। मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने अयोध्या में ऐतिहासिक राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया था। इसलिए पार्टी नेताओं को ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। यह भगवान श्रीराम का मंदिर है।’ इसके बाद ज्ञानदेव आहूजा ने मंदिर में गंगाजल छिड़ककर पवित्र करते हुए पूजन करने की बात कही।