पूर्व बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की किताब के विमोचन के मौके पर पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कई बार हम विधानसभा में कुछ भाषण दे देते हैं। वह रिकॉर्ड पर आ जाता है, दूसरे दिन वही भाषण जब हमारे पास आता है। अगर हम ईमानदारी से उसे पढ़े तो हमको स्वयं को झटका लग जाएगा कि हमें ऐसे शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए था। हमें आलोचना करने का अधिकार है, लेकिन उसमें हमें शब्दों की कंजूसी करने का अधिकार किसने दिया। वो कंजूसी लोकतंत्र को एक तरह से कंलकित करती हैं। उन्होने कहा कि वास्तव में यह जो अग्निपथ है, उसे जो ठीक ढंग से पा लेगा ना। वो ही इस जनपथ को बना सकेगा। लेकिन दुर्भाग्य है कि हवाई जहाज से जो आता है ना, वो लोकतंत्र को समझता नहीं है। ट्रांसफर के चक्कर में पड़ गए
राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि पता नहीं कब हम लोग विधानसभा के फ्लोर से ज्यादा महत्व ट्रांसफर के काम को देने लगे। उन्होने कहा कि मेरे इतने लंबे कार्यकाल में मुझे लोकतंत्र का सबसे खराब पक्ष कोई नजर आया तो वह यह है कि हम लोगो ने ट्रांसफर को प्राथमिकता दे दी। विधानसभा का फ्लोर चल रहा है और हम किसी ना किसी के ट्रांसफर कराने के लिए कागज लेकर सचिवालय में घूम रहे हैं। क्या हम लोकतंत्र का सम्मान कर रहे है, उस जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे है। जिसने हमें लोकतंत्र के मंदिर में भेजा हैं। यह देखकर बहुत कष्ट होता हैं। कितनी भी हैकड़ी कर लो क्या कर लोंगे
उन्होने कहा कि जनता चाहेगी तो आप आओगे, नहीं चाहेगी तो नहीं आ पाओगे। कितनी भी हेकड़ी कर लो, क्या कर लोगे। जनता यह नहीं सोचती है कि किसने मेरा क्या किया। वह आपके गुण और अवगुणों को देखती हैं। ऐसा नहीं है कि बिना गुण-अवगुण देखे भेज दे, कुछ पांच-दस प्रतिशत गड़बड़ हो सकती है। लेकिन इससे ज्यादा नहीं चलता हैं।