भांकरोटा अग्निकांड में गुरुवार को बर्न आईसीयू में भर्ती एक और घायल की मौत हो गई। जयपुर निवासी लालाराम (28) की गुरुवार तड़के मौत हो गई। इसके साथ ही मृत लोगों की संख्या 19 तक पहुंच गई। इनमें से 11 की मौत पहले ही दिन हो गई थी। बाकी घायलों की मौत पिछले 5 दिन में हुई है। आठ मरीज अब भी आईसीयू में भर्ती हैं। इनमें से 3 वेंटिलेटर पर हैं। भास्कर ने हादसों में जले लोगों की लगातार होती मौतों के कारणों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली बात सामने आई। इन घायलों का बर्न प्रतिशत भले ही कम हो, लेकिन डीप बर्न (अंदर तक जलना) होना मौत का बड़ा कारण रहा। साथ ही भर्ती मरीजों के साथ यह खतरा अब भी बना हुआ है। बर्न आईसीयू में भर्ती 8 में से 7 जनों का कोई न कोई अंग डीप बर्न है। डॉक्टर्स दिन-रात घायलों के इलाज में जुटे हैं और बुधवार रात भी दो की तबीयत बहुत बिगड़ गई थी, लेकिन प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. राकेश जैन सहित पूरी टीम के प्रयासों से खतरा टल गया। डॉक्टरों के अनुसार हादसे के समय जो भी लोग मौके पर थे, ब्लास्ट के साथ ही आग की लपटें उनके मुंह के जरिए सांस की नली तक पहुंच गई थी, जिससे लंग्स भी पूरी तरह प्रभावित हो गए। नतीजतन उन घायलों को बचा पाना काफी मुश्किल हो गया जो कि कम जले थे। इसी वजह से मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है। बर्न आईसीयू में अभी सुरेन्द्र, रमेश, नीरा, नरेश, कपिल, सोमराज, शैलेन्द्र और सलीम भर्ती हैं। सभी के चेहरे और हाथ जले हुए हैं। इसके साथ पांच जनों के कमर और कुछ नीचे का हिस्सा भी जला हुआ है। नीरा, शैलेन्द्र, सोमराज और सलीम के डीप बर्न है और फेसियोटोमी करनी पड़ी है। यानी कि उनके हाथों के उत्तक अंदर तक जल जाने की वजह से चीरा लगाया गया, ताकि जल्द रिकवरी हो सके। हादसे में घायल लोगों को देखकर डॉक्टर्स भी हतप्रभ हैं। उनका कहना है कि सामान्य आग के 70% तक बर्न केस को बचाया गया है, लेकिन इस मामले में 40% तक जले लोगों के लिवर, किडनी, हार्ट और लंग्स जैसे प्रमुख अंग धीरे-धीरे प्रभावित होना सामने आया है। 3 और को छुट्टी, अब तक 16 घर लौटे हादसे में घायल तीन जनों को गुरुवार को छुट्टी दे दी गई। इनमें तमिलनाडु के शिवा और उमर शामिल हैं। इसके अलावा करौली के शिवा को भी छुट्टी दे दी गई है। अब इन्हें कभी-कभी दिखाने के लिए अस्पताल आना होगा। ये सभी खतरे से बाहर हैं। अब तक 13 डिस्चार्ज हो चुके हैं। इंटरनल ऑर्गन भी प्रभावित हुए
कुछ पेशेंट डीप बर्न हैं। उन्हें बचाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। इस हादसे में बर्न की स्थिति काफी अलग है और इंटरनल ऑर्गन भी प्रभावित हुए हैं। गुरुवार को तीन जनों को छुट्टी दे दी गई है और अभी आठ जने एडमिट हैं। -डॉ. राकेश जैन, प्लास्टिक सर्जरी विभाग के यूनिट हेड व एडिशनल प्रिंसिपल हाईवे पर हादसों में कमी लाने के लिए विभागों को रोड सेफ्टी प्रोटोकॉल लागू करने के निर्देश डीपीएस कट हादसे के बाद जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अध्यक्ष कलेक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने एनएचएआई, जेडीए, पुलिस सहित अन्य विभागों को पत्र लिखते हुए रोड सेफ्टी के प्रोटोकॉल सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत सड़कों पर नवीनतम स्पीड लिमिट, यू-टर्न, चिकित्सा सेवा हेतु आपातकालीन नम्बर (1033 एवं 108) एवं अन्य संकेतक लगाया जाना, रम्बल स्ट्रिप्स, कैश बैरियर, कैट्स आई लगवाया जाना, लोकल ट्रैफिक एवं अवैध पार्किंग को चिह्नित कर चेतावनी साइन बोर्ड स्थापित करने, घुमावों पर धीमी गति से चलने के सूचना संकेतक बोर्ड लगाने, यातायात सिग्नल के ऑटोमैटिक सिंक्रोनाइज की व्यवस्था, लेन सिस्टम की पालना, बोटल नेक स्थानों का चयन कर सुधार, वाहन चालकों को मार्ग की जानकारी हेतु सभी प्रमुख मार्गों पर वीएमएस की स्थापना, आई रेड/ई-डार द्वारा सड़क दुर्घटनाओं का डिजीटल संधारण सुनिश्चित किया जाएगा। SIT ने BPCL व NHAI से मांगे जवाब बीपीसीएल से ये जानकारी मांगी एनएचएआई से इन सवालों के जवाब मांगे
