राजस्थान क्राइम फाइल के पार्ट-1 में आपने पढ़ा कि जयपुर के शिवदासपुरा थाना इलाके में एटीएस के एएसपी आशीष प्रभाकर (40) अपनी महिला मित्र पूनम (26) के साथ स्कॉर्पियो में मृत मिले। कार से 2 सुसाइड नोट बरामद हुए। जिसमें एएसपी ने पूनम और उसके साथियों पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया। अब पढ़िए आगे की कहानी… इस केस की पूरी जांच एएसपी के सुसाइड नोट पर टिकी थी। सुसाइड नोट में उन्होंने 7 लोगों के नाम और मोबाइल नंबर लिखे थे। एएसपी ने अन्य अधिकारियों को भी इसी तरह ब्लैकमेल करने की बात कही थी। मामले में पुलिस ने संदिग्ध मोबाइल नंबर की सीडीआर की जांच शुरू की। इसके साथ ही आशीष प्रभाकर और पूनम के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई। पुलिस की जांच में सामने आया कि एएसपी आशीष प्रभाकर और पूनम की मुलाकात 2012 में हुई। जब 22 साल की पूनम का अपने पति से विवाद चल रहा था। उसकी शादी एक साल पहले 2011 में हुई। इसके बाद से ही पूनम के ससुराल में पति व ससुरालवालों के साथ झगड़े शुरू हो गए। इस संबंध में पूनम ने एक केस माणक चौक पुलिस थाने में दर्ज कराया था। उस समय आशीष प्रभाकर इस इलाके के एएसपी थे। वे इस मामले की जांच कर रहे थे। केस के सिलसिले में दोनों की मुलाकातें हुई। जल्द ही ये मुलाकात दोस्ती में बदल गई। हालांकि बाद में पूनम और उसके पति के बीच राजीनामा हो गया। लेकिन पूनम ने तलाक ले लिया। इसी बीच आशीष प्रभाकर का अलवर ट्रांसफर हो गया। पूनम का घर भी अलवर में ही था। इस कारण दोनों के बीच नजदीकी बढ़ गई। पूनम को लेकर एएसपी के परिवार में बढ़ा तनाव कुछ समय बाद आशीष प्रभाकर ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर जयपुर के गोपालपुरा इलाके में सिविल सर्विस की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान शुरू किया। पूनम भी कोचिंग के नाम पर अपनी बहन नीलम के पास जयपुर आ गई। नीलम जयपुर पुलिस में काॅन्स्टेबल है। इसके बाद पूनम आशीष के साथ मिलकर कोचिंग चलाने लगी। पूनम को आशीष के शादीशुदा होने और उसके परिवार के बारे में पहले से जानकारी थी। इधर, आशीष घरेलू विवाद के कारण काफी तनाव में चल रहे थे। उनकी पत्नी के साथ भी अनबन चल रही थी। आशीष की पत्नी जयपुर में ही अपने मायके में रहती थी। वहीं आशीष को अजमेरी गेट के पास पुलिस क्वार्टर मिला हुआ था। पूनम अब आशीष पर उससे शादी करने का दबाव बनाने लगी। करीब छह महीने से दोनों के बीच इस बात को लेकर अनबन रही। इस बात को लेकर एएसपी भी तनाव में थे। एएसपी के सुसाइड करने की सूचना जब परिजनों को मिली तो वे भी हैरान रह गए। एएसपी के पिता ने उस दौरान मीडिया को बताया कि उन्हें जानकारी नहीं थी कि इस तरह का कोई मामला है। बहू व आशीष ने भी नहीं बताया। अगर हमें बताते तो हम इसे सुलझाने की कोशिश करते। आशीष इकलौता बेटा था। ट्रेनिंग के दौरान लापता हो गए थे एसीपी इस वारदात से करीब एक महीने पहले एसीपी प्रभाकर अचानक लापता हो गए। उस दौरान वे आरपीए में ट्रेनिंग कर रहे थे। काफी देर तक जब उनसे संपर्क नहीं हुआ तो पत्नी ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना देकर नाकाबंदी कराई। इसके बाद वे जलमहल के पास मिले। ट्रेनिंग के दौरान अचानक लापता होने पर काफी विवाद हुआ। आरपीए में दस महीने की ट्रेनिंग पूरी करने बाद उन्हें एटीएस में लगाया गया। उस समय आशीष का पूनम से किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। इस पर पूनम ने बजाज नगर पुलिस थाने में एएसपी पर टॉर्चर करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दी। इसकी भनक जब एएसपी को लगी तो वे आरपीए की ट्रेनिंग छोड़कर चले गए। हालांकि पुलिस ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की और बाद में दोनों में सुलह हो गई। ऑफिस में सभी फाइलें निपटाई पुलिस जांच में सामने आया कि एटीएस एसीपी आशीष प्रभाकर वारदात के दिन (22 दिसंबर 2016) भी रोजाना की तरह ऑफिस पहुंचे। पूरा दिन काम करने के बाद वे ऑफिस से शाम को करीब पांच बजे निकले। इससे पहले उन्होंने सभी पेंडिंग फाइलें निकलवाईं। उच्च अधिकारियों से इन पर टिप्पणी कराने के बाद वे ऑफिस से गए। उनके पास उस दिन कोई पेडिंग फाइल नहीं बची थी। इसके बाद वे पूनम के पास गए। यहां से दोनों स्कॉर्पियो में एक साथ घूमे। दोनों ने साथ में शराब पी। इसके बाद दोनों सरकारी गाड़ी से जगतपुरा गए। शाम को साढ़े सात बजे एएसपी ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया। साथी एएसपी को फोन करने के बाद उन्होंने सुसाइड कर लिया। वारदात से पहले इश्यू कराई पिस्टल, फायरिंग की प्रैक्टिस की एएसपी आशीष प्रभाकर ने फायरिंग की प्रैक्टिस भी की थी। वे एटीएस के अन्य अधिकारियों के साथ फायरिंग की प्रैक्टिस करने के लिए 20 और 21 दिसंबर को चौमूं के मोरीजा गए। वहां उन्होंने वारदात से एक दिन पहले ग्लोक पिस्टल एसएलआर से फायरिंग प्रैक्टिस की। आशीष प्रभाकर ने वारदात के दिन ही एटीएस मालखाने से पिस्टल इश्यू कराई। आम तौर पर वे अपने साथ पिस्टल नहीं रखते थे। इसके अगले दिन 22 दिसंबर की शाम को उनका व पूनम का शव स्कॉर्पियो में मिला। एटीएस ऑफिस में लिखे 4 सुसाइड नोट जांच में सामने आया कि आशीष प्रभाकर ने सुसाइड नोट पूनम से मिलने से पहले ही लिख लिए थे। उन्होंने एटीएस ऑफिस में 4 सुसाइड नोट लिखे। दो सुसाइड नोट वे अपने साथ ले गए और 2 को ऑफिस की अलमारी में रख दिया। स्कॉर्पियो में पत्नी व बच्चों के नाम लिखा सुसाइड नोट पांच लाइन का और पूनम के बारे में लिखा सुसाइड नोट 13 लाइन का था। जांच के दौरान शिवदासपुरा थाना पुलिस ने एसीपी के ऑफिस की तलाशी ली। इस दौरान अलमारी में रखे 2 और सुसाइड नोट मिले। उन्होंने इनमें से एक सुसाइड नोट माता-पिता और दूसरा बच्चों के नाम लिखा था। माता-पिता के नाम लिखे सुसाइड नोट में प्रभाकर ने लिखा कि वे अच्छा बेटा नहीं बन सके। वहीं, बच्चों के नाम लिखे सुसाइड नोट में उन्होंने बच्चों को उनकी तरह गलत रास्ते पर नहीं जाने की हिदायत दी। इसके साथ ही बहुत पढ़ाई करने व कभी हिम्मत नहीं हारने की बात लिखी। स्कॉर्पियो में दोनों के बीच हुई छीना-झपटी आशीष प्रभाकर के पिस्टल निकालने पर दोनों के बीच छीना-झपटी हुई। पूनम ने आशीष प्रभाकर को रोकने की कोशिश की। जिसके कारण गाड़ी के दरवाजे व छत में गोली लगी। स्कॉर्पियो के ड्राइवर साइड के दरवाजे और छत में गोली चलने से छेद हो रखे थे। दोनों छेद बाहर निकलते हुए दिखाई दे रहे थे। एफएसएल और पुलिस का मानना था कि गोली अंदर से बाहर की तरफ निकलने से ये छेद हुए हैं। तत्कालीन डीसीपी साउथ मनीष अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि आशीष प्रभाकर स्टडी लीव पर चल रहे थे। वारदात से कुछ दिन पहले ही ड्यूटी पर वापस लौटे थे। पुलिस कंट्रोल रूम ने जो नंबर बताया था। वो आशीष प्रभाकर का ही था। सुसाइड नोट में लिखे मोबाइल नंबर एएसपी व पूनम के निकले एसीपी आशीष प्रभाकर ने अपने सुसाइड नोट में 20 मोबाइल नंबर का जिक्र किया था। पुलिस ने जब इन मोबाइल नंबर की सीडीआर जांच की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। ये सभी नंबर एएसपी आशीष प्रभाकर के नाम पर थे। इन्हें आशीष प्रभाकर खुद या पूनम काम में ले रही थी। किसी भी मोबाइल नंबर की सीडीआर जांच में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई कि इस घटना में किसी बाहरी व्यक्ति का हाथ हो। पुलिस ने सीडीआर के आधार पर पूनम के नजदीकी लोगों से भी पूछताछ की। इस दौरान भी कोई नाम या जानकारी पुलिस को नहीं मिली। इसके साथ ही एएसपी ने दीपक मीणा, मनोज मीणा, प्रभाकर शर्मा, रोशन, नरसी और उमेश के नाम लिखे थे। सुसाइड नोट में इन व्यक्तियों के केवल नाम लिखे थे। इनका एड्रेस और पद नहीं लिखा था। पुलिस ने कुछ संदिग्धों से पूछताछ की लेकिन ब्लैकमेलिंग के आरोप साबित नहीं हुए। सुसाइड नोट में कई अन्य पुलिस अधिकारियों को पूनम द्वारा ब्लैकमेल करने की बात भी साबित नहीं हुई। जांच के दौरान किसी भी ऐसे पीड़ित ने पुलिस से संपर्क नहीं किया। जांच के लिए नहीं पहुंचे पूनम के परिजन जांच के दौरान पुलिस ने पूनम के परिजनों को भी जांच के लिए बुलाया। उसके परिवार से कोई भी व्यक्ति नहीं पहुंचा। पोस्टमार्टम के दौरान पूनम के जीजा विमलेश ने एएसपी पर खुद को बचाने और उनके परिवार को बदनाम करने के लिए सुसाइड नोट लिखने की बात कही थी। पूनम की बहन दीपिका ने बताया कि पूनम के मोबाइल में एएसपी का नंबर सेव नहीं था। वे पूनम की शादी के लिए लड़का तलाश रहे थे। इस बीच इस वारदात से पूरा परिवार सहम गया। एक पिस्टल से चली गोली, किसने चलाई नहीं मालूम एफएसएल जांच में ये साबित हुआ कि दोनों को एक ही वैपन यानी पिस्टल से गोली लगी है। घटनास्थल पर आशीष व पूनम के अलावा कोई मौजूद नहीं था। इस घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी भी नहीं था। ऐसे में पुलिस आठ महीने की जांच के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।जांच अधिकारी दीपक खंडेलवाल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि जांच के दौरान ये स्पष्ट नहीं हो पाया कि आशीष प्रभाकर ने पूनम को गोली मारी है। या फिर पूनम व आशीष ने स्वंय को गोली मारी है। या ये घटना दुर्घटनावश हुई है। पुलिस ने माना कि बिना सबूतों के स्पष्ट नहीं कहा जा सकता कि आशीष प्रभाकर ने पूनम को गोली मारी थी। केवल आंकलन के आधार पर आशीष प्रभाकर को धारा 302 का अभियुक्त मानना साबित नहीं हो पाता है। पुलिस ने इस केस पर 31 अगस्त 2017 को एफआर लगा दी। इसे 4 सितम्बर 2017 को चाकसू कोर्ट में पेश कर दिया। बंद स्कॉर्पियो में मिली थी एएसपी और महिला की लाश:दोनों शव खून से लथपथ, दो सुसाइड नोट ने उलझाया केस, सुसाइड या मर्डर, पार्ट-1
