ऊंट संरक्षण योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा टोडिया के जन्म के अवसर पर दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को दोगुना कर दिया है। पूर्व में यह राशि 10 हजार रुपए थी। लेकिन अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 20 हजार रूपए कर दी है। इसकी पहली किश्त राज्य सरकार के एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए सीधे खातों में जारी कर दी गई थी। झुंझुनूं जिले में 1 लाख रुपए दिए गए हैं। बीते साल झुंझुनूं जिले में 12 ऊंटों का रजिस्ट्रेशन हुआ था। इसमें से 10 का ही सत्यापन हो पाया था। शेष जागरूकता की कमी व दस्तावेजों के जांच नहीं होने से सत्यापन से वंचित रहे। सत्यापन के बाद 10 पशुपालक थे। योजना के तहत ऊंटनी के बच्चे के पालन पोषण के लिए पालकों को दो किश्तों में 20 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। प्रथम किश्त जन्म के दो माह बाद व दूसरी किश्त एक वर्ष आयु पूरी होने पर मिलेगी। प्रत्येक किश्त के रूप में 10 हजार मिलेंगे। एक पंजीकृत चयनित ऊंटनी की द्वितीय संतति को न्यूनतम 15 माह के अंतराल उपरांत लाभ मिल सकेगा। इससे पूर्व 5 हजार रुपए मिलते थे, जिसे बाद में बढ़ाकर 10 हजार कर दिया गया था पंजीकृत चयनित ऊंटनी और उससे जन्मी नर, मादा टोडिया जिनकी आयु 0 से 2 साल है, उनके पहचान पत्र बनाए जा रहे हैं। इसके लिए पशु चिकित्सक की देखरेख में टैग लगाए जा रहे हैं। इसके लिए ऊंटनी और टोडिया का टैग दिखाते हुए संयुक्त फोटो को पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। एक वर्ष पूरा होने पर पहचान पत्र जारी होगा। पंजीकृत चयनित टोडिया की मृत्यु की होने पर दूसरी किश्त का भुगतान नहीं किया जाएगा। झुंझुनूं जिले के पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक सुरेश सूरा ने बताया कि झुंझुनूं जिले में 9 हजार ऊंट पालक हैं। वर्तमान में सत्यापन के बाद 10 ऊंट पालक और उनकी 10 टोडिया, यानि ऊंट के बच्चे, प्रत्येक को पहली किश्त के 10 हजार रुपए दिए गए हैं। वर्ष 24-25 में 10 टोडिया पंजीकृत हैं। उन्होंने बताया कि ऊंट के बच्चों का सत्यापन होने के बाद ही दो किश्तों में राशि दी जाती है।
