आज जातियों के आधार पर मिलते हैं टिकट:टिकट बंटवारे से लेकर मंत्रिमंडल में जगह तक जातीय समीकरण हावी, पिंकसिटी प्रेस क्लब में बच्चों से बोले शिक्षा मंत्री

राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जयपुर में पिंकसिटी प्रेस क्लब में आ के दौरान राजनीति में जातिगत समीकरणों पर खुलकर चर्चा की। पिंकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित समर कैंप में एक बच्ची के सवाल पर उन्होंने राजनीति की वास्तविकता बताई। मंत्री ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां टिकट बांटने से लेकर मंत्रिमंडल बनाने तक जातीय समीकरणों को ध्यान में रखती हैं। उन्होंने बताया कि पार्टियां अक्सर इस आधार पर उम्मीदवार चुनती हैं कि किस जाति के कितने वोट हैं। कार्यक्रम में एक बच्ची ने मंत्री से पूछा कि मंत्री कैसे बना जा सकता है। जवाब में दिलावर ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से पहले पार्टी में काम करना होता है। फिर विधायक बनना पड़ता है। अगर पार्टी बहुमत हासिल करे तो मंत्री बनने का मौका मिल सकता है। पिंकसिटी प्रेस क्लब में चल रहे ग्रीष्मकालीन बाल अभिरुचि शिविर में बच्चों को मार्शल आर्ट, योग और नृत्य सिखाया जा रहा है। इस शिविर में पत्रकारों के बच्चे भी अपने कौशल विकास के लिए भाग ले रहे हैं। बच्ची ने पूछा अंग्रेजी स्कूलों से शिक्षक क्यों हटाए? एक अन्य बच्ची ने पूछा कि उनके महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल से हाल ही में कई शिक्षकों को हटा दिया गया। जिससे उनके स्कूल में शिक्षकों की कमी हो गई है। इस पर मंत्री दिलावर ने कहा कि जब पूर्ववर्ती सरकार ने इन स्कूलों को हिंदी से इंग्लिश में परिवर्तित किया, तब सरकार ने स्कूल तो खोल दिया लेकिन मास्टरों की भर्ती नहीं की। अध्यापकों की भर्ती नहीं करने के चलते हिंदी मीडियम स्कूलों से अध्यापकों को लाया गया। ऐसे में जो डेपुटेशन पर लगे हुए थे, वो शिक्षक चले गए। सरकार ने 3 हजार शिक्षकों को गांव से लाकर वैसे ही बैठा रखा था, इसलिए उन्हें वापस भेज दिया गया है, क्योंकि शहर में भी शिक्षक होना चाहिए, लेकिन गांव भी खाली नहीं होना चाहिए। उन्होंने बच्ची को आश्वस्त किया कि अब शिकायत नहीं रहेगी। आने वाले एक दो महीनों में सब टीचर्स को सभी स्कूलों में लगाने वाले हैं। ऐसे में आगामी दिनों में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। दिलावर बोले- बच्चों को बांधकर नहीं रखें कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से रूबरू होते हुए शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि बच्चों ने समर कैम्प में कई सारी विधाओं को सीखा है। उनमें से प्रथम, द्वितीय, तृतीय रहने वाले छात्रों का चयन भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूलों में भी कई तरह के कैंप लगाते रहते हैं। लेकिन उनका मानना है कि बच्चों को हमेशा बांधकर नहीं रखना चाहिए.।उनको स्वतंत्र रखना चाहिए, ताकि बच्चे अपने हिसाब से खेलें, क्योंकि बच्चे 9-10 महीने तक बंधे रहते हैं तो कुछ उछल-कूद करने की उनकी इच्छा रहती है। उन्हें उनका बचपन एंजॉय करने देना चाहिए।