अमेजन-​फ्लिपकार्ट से कलेक्टर-एसपी, जज, जिसकी चाहो फर्जी मुहर मंगवा लो:बेगूं में अफसरों की फर्जी मुहर से जमानत का खेल जज ने पकड़ा था, यहां खुले में मिल रही

चित्ताैड़गढ़ के बेगूं में फर्जी सील-साइन से जमानत दिलाने का बड़ा खेल खुद जज ने पकड़ा था। भीलवाड़ा में भी साइबर ठगी का बड़ा रैकेट हरियाणा की पुलिस टीम ने पकड़ा। यहां बड़ी संख्या में फर्जी सीलें बरामद की गई थीं। जज, कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार सहित सभी बड़े अधिकारियाें की मुहर मिली थी। आखिर ये मुहर बनती कैसे हैं? भास्कर ने इसकी पड़ताल की ताे चाैंकाने वाला मामला सामने आया। ये मुहर अमेजन-फ्लिपकार्ट साइट पर आसानी से बन रही हैं। भास्कर ने विदेश मंत्रालय, जिला मुख्य मजिस्ट्रेट, जिला कलेक्टर उदयपुर, जिला पुलिस अधीक्षक उदयपुर और राज्य सूचना आयोग के रजिस्ट्रार की मुहर बनवाई, जाे आसानी से बन गई और 5 दिन में घर पर डिलीवर कर दी गई। एक सील बनाने में महज 267 रुपए लगे। जबकि नियमाें के तहत संबंधित अधिकारी के अनुशंसा पत्र के बिना यह मुहर नहीं बनाई जा सकती। मुहर की डिलीवरी भी विभाग के अधिकारी के सरकारी पते पर ही होती है। इसमें बाकायदा 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। भास्कर ने जिला मुख्य मजिस्ट्रेट, कलेक्टर, सूचना रजिस्ट्रार और विदेश मंत्रालय की मुहर मंगवाई ई-काॅमर्स साइट पर बुकिंग, वाट्सएप पर डिजाइन मांगी थी अमेजन-फ्लिपकार्ट पर मुहर के लिए बुकिंग की गई। वाट्सएप पर कंपनी ने संपर्क किया। मुहर की डिजाइन मतलब क्या लिखना है और कैसे लिखना है, के बारे में जानकारी मांगी। भास्कर ने अधिकारियों की मुहर का डिजाइन वैसा ही भेजा, जैसा असल में हाेता है। पांच दिन में यह मुहर डिलीवर कर दी गई। डिजिटल हस्ताक्षर के दाैर में भी कई दस्तावेजों को प्रमाणित करने, मूलनिवास, जाति प्रमाण पत्र, वारिस प्रमाण पत्र, पट्टे, विदेश में मृत्यु की स्थिति में जारी होने वाला क्लेम प्राप्त करने जैसे 20 दस्तावेजों की तस्दीक मुहर से ही की जाती है। फर्जी सील देखकर चौंक गए अतिरिक्त संभागीय आयुक्त भास्कर के रिपोर्टर ने उदयपुर में अतिरिक्त संभागीय आयुक्त सीआर देवासी को ऑनलाइन मंगवाई गई मुहर दिखाई। इसे देखते ही वों चौक गए। कहा-कलेक्टर, एसपी और विदेश मंत्रालय की भी मुहर कैसे बन गई? ये तो अपराध है। इसको लेकर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। इसका तो हर कोई गलत इस्तेमाल आसानी से कर सकता है। बिना परमिशन कैसे मुहर बन सकती हैं? तीन उदाहरणों से जानें फर्जी सील का खेल 1. 3 एसडीएम की फर्जी मुहर से बाबू ने जारी किए 100 से ज्यादा बंदूक के लाइसेंस बांसवाड़ा के गढ़ी एसडीएम दफ्तर में बाबू प्रकाश भाेई ने 3 एसडीएम की फर्जी मुहर से 100 से ज्यादा टोपीदार बंदूक के लाइसेंस जारी कर दिए। भाेई के घर से 70 टोपीदार बंदूक जारी करने के दस्तावेज और नकली मुहर जब्त की गई थी। 2. जज से पटवारी तक 75 अफसरों की नकली सील, 500 को दिलाई जमानत चित्तौड़गढ़ के बेगूं में फर्जी सील वाले गिरोह का पर्दाफाश जज ने किया था। जज, एडीएम, डीएसपी, तहसीलदार और पटवारी समेत अलग-अलग अधिकारियों की 75 सीलें और प्रमाण पत्र LLB पास सतीश जैन के पास मिलीं। 500 लोगों की जमानतें फर्जी दस्तावेजाें से दिला चुका था। 3. यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियां बांट दीं चूरू के ओपीजेएस विवि में तीन आरोपियों को कई फर्जी डॉक्यूमेंट के साथ गिरफ्तार किया गया था। सरदारशहर निवासी प्रदीप शर्मा के घर से मार्कशीट के साथ-साथ आंसर शीट, कई यूनिवर्सिटी की जाली मुहर, दो लाख कैश बरामद किए। यहां कई यूनिवर्सिटी की फर्जी मुहर भी बरामद हुई थीं।