अजमेर डिस्कॉम के कैशियर 48 दिनों में 1 करोड़ 14 लाख 82 हजार रुपए का घोटाला कर लिया। बिजली के बिल और कनेक्शन के कैश की रसीदें तो काटी, लेकिन रजिस्टर में कम रुपयों की एंट्री की। अधिकारियों ने महीने के हिसाब की रिपोर्ट मांगी तो पहले तो 8 दिन तक टालमटोल करता रहा। इसके बाद फोन बंद कर फरार हो गया। इसके बाद डिस्कॉम के खातों की जांच की गई तो करोड़ों के घोटाले का खुलासा हुआ। मामला अजमेर डिस्कॉम के अंतर्गत आने वाले उदयपुर जिले के मावली कार्यालय का है। देर शाम डिस्कॉम एमडी ने मामले में रिपोर्ट देने वाले एईएन, कैशियर और सहायक राजस्व अधिकारी को सस्पेंड कर दिया। मावली थाना प्रभारी रमेश कविया ने बताया- मावली उपखंड के एईएन बिजेंद्र गहलोत की ओर से रिपोर्ट दी गई है। इसमें धर्मवीर चौधरी (CA-I) पुत्र नारायण लाल चौधरी निवासी गायत्री नगर मावली के खिलाफ गबन का मामला दर्ज करवाया है। जांच की जा रही है। 18 दिन से हिसाब पेश नहीं कर रहा था रिपोर्ट को लेकर एईएन बिजेंद्र गहलोत ने बताया कि हर महीने का हिसाब 1 तारीख से 10 तारीख के बीच प्रत्येक कैशियर को पेश करना होता है। उसका मिलान किया जाता है। धर्मवीर ने 10 तारीख तक हिसाब ही पेश नहीं किया था। बार-बार कहने के बावजूद टालमटोल करता रहा। इसके बाद 18 दिसंबर को सख्ती की तो 19 दिसंबर से वह फरार हो गया और फोन भी बंद कर लिया। इसके बाद विभाग ने जांच की तो 1 करोड़ 14 लाख 82 हजार रुपए के गबन का खुलासा हुआ। बिलों-कनेक्शन की राशि का किया गबन गहलोत ने बताया कि यह राशि राजस्व से प्राप्त हुई थी। उन्होंने कहा- यह बिजली के बिलों, कनेक्शन करवाने, कनेक्शन काटने और अन्य शिकायतों की राशि थी। धर्मवीर कैश लेकर कस्टमर को रसीद दे देता था। लेकिन, राशि को बैंक में जमा नहीं करवाता था। धर्मवीर ने फर्जी रसीद बुक भी बनाई है जिसे लेकर जांच की जा रही है। डिस्कॉम एमडी केपी वर्मा ने बताया- मामले को लेकर सहायक अभियंता बिजेन्द्र गहलोत, सहायक राजस्व अधिकारी आदित्य निमावत और आरोपी धर्मवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया है। डिस्कॉम घोटाले की ये खबर भी पढ़ें… मिसेज राजस्थान रही महिला अफसर फ्रॉड केस में बर्खास्त:2.21 करोड़ का घोटाला किया, 4 साल बाद आया फैसला अजमेर डिस्कॉम में 2 करोड़ 21 लाख 43 हजार 763 रुपए का फ्रॉड करने वाली मिसेज राजस्थान रही अकाउंट ऑफिसर अन्नपूर्णा सेन को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। यह गबन 19 महीने (अप्रैल 2017 से अक्टूबर 2018 तक) तक चला था। मामला खुलने के 4 साल बाद इस पर फैसला हो पाया है। मामले की जांच पहले डिस्कॉम अधिकारियों एवं बाद में रिटायर्ड आईएएस केएन गुप्ता ने की थी। (पढ़ें पूरी खबर)
